औरंगाबाद : बिहार के औरंगाबाद जिले के देव प्रखंड में पान की खेती करने वाले किसान ठंड की मार से परेशान हैं। बिहार, बंगाल, उड़ीसा, मध्य प्रदेश यहां तक की बांग्लादेश और ढाका में जिस पान के लालिमा की कद्र थी, उसकी खेती आज समाप्ति की कगार पर है। जिले के देव प्रखंड के खेमचंद बिगहा सहित आसपास के गांव के किसान पान की खेती को लेकर परेशान हैं क्योंकि, ठंड के प्रकोप से पान के पत्ते न सिर्फ मुरझा रहे हैं बल्कि सूख भी गए हैं। पान की खेती करने वाले किसानों ने सरकार से मदद की गुहार लगाई है।
ठंड की वजह से पान की फसल को काफी नुकसान पहुंचा है। किसानों को लागत की राशि वापस आने की भी उम्मीद नहीं है। पान उत्पादकों ने बताया कि मगही पान देश ही नहीं बल्कि विदेश में भी अपने स्वाद को लेकर प्रसिद्ध है. लेकिन ठंड के कारण पान के पत्ते सूख गए हैं, जो किसी काम का नहीं हैं. बाजार में भी उसकी अब कोई कीमत नहीं रही। उन्होंने बताया कि व्यापारी अभी एक टोकरी जिसमें 220 पान के पत्ते होते हैं। उसकी कीमत 20 से 30 रुपये देकर जा रहे हैं। ऐसे में वे आर्थिक कठिनाईयों का सामना करने को मजबूर हैं।
आपको बता दें कि जिले के देव प्रखण्ड को कभी पान उत्पादकों का क्षेत्र माना जाता था और पान की खेती यहां के किसानों की मुख्य पेशा थी लेकिन, वक्त और मौसम की मार और सरकार की उदासीनता के कारण पान उत्पादक क्षेत्र से पलायन कर गए। जिले के देव प्रखण्ड के देव, गिद्धौर, भत्तु बिगहा, खडीहा, डुमरी, कीर्ति बिगहा, खेमचंद बिगहा, पचोखर, तेजू बिगहा, बरई बिगहा, एरौरा, जदूपुर, केताकी में पहले जहां पान की खेती बहुतायत मात्रा में की जाती थी, वहां अब कुछ किसान इस पारम्परिक खेती को बचाने में लगे हुए हैं।
सौरभ सिन्हा की रिपोर्ट