प्रदूषण नियंत्रण के लिए स्कूली बच्चों एवं सामाजिक संगठनों का सहयोग जरुरी- तारकिशोर
पटना : बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण पर्षद् के सभागार में आयोजित कार्यक्रम में बिहार के उपमुख्यमंत्री तार किशोर प्रसाद द्वारा सहमति प्रबंधन के स्वत: नवीकरण प्रणाली का उद्घाटन किया गया।
इस मौके पर उप मुख्यमंत्री ने कहा कि बिहार सरकार विकास के प्रत्येक पायदानों पर विगत 15 वर्षों से काम कर रही है। आधारभूत संरचना के विकास के लिए काफी काम किया गया है, जो धरातल पर स्पष्ट रूप से दिखता है। उन्होंने कहा कि प्रदूषण नियंत्रण के लिए विभाग ने पूर्व से ऑनलाइन व्यवस्था रखी है।
उन्होंने खुशी जाहिर करते हुए कहा कि आज के इस कार्यक्रम के माध्यम से राज्य में Ease of doing business नीति के तहत संचालनार्थ सहमति आदेश के नवीकरण की प्रक्रिया को ऑनलाइन आवेदन कर स्वत: नवीकरण किए जाने की व्यवस्था का शुभारंभ किया गया है, जिससे औद्योगिक इकाइयों को नवीकरण की प्रक्रिया में सुविधा होगी। उन्होंने कहा कि अपनी इकाई के संचालनार्थ सहमति आदेश का नवीकरण हेतु विकल्प चुनकर ऑनलाइन आवेदन करने वाले उद्यमियों को यह सुविधा प्राप्त हो जाएगी एवं उनके सहमति नवीकरण आवेदन का नवीकरण हो जाएगा।
उन्होंने कहा कि राज्य में उद्योगों के विकास के लिए कई कदम उठाए जा रहे हैं। राज्य में निवेशकों की संख्या में वृद्धि के प्रयास के साथ उद्यमी एवं उद्यमिता विकास के लिए ठोस प्रयास किए जा रहे हैं। सरकार ने पृथक् रुप से उद्यमिता एवं कौशल विकास विभाग का गठन किया है। राज्य में मानव संसाधन के रुप में बड़ी संपदा उपलब्ध है। बिहार के विकास में हम इनका बेहतर उपयोग कर सकते हैं।
उन्होंने अपने संबोधन के दौरान प्रदूषण नियंत्रण को लेकर अन्य आवश्यक कदम उठाने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि प्रदूषण नियंत्रण के साथ-साथ प्रदूषण रहित वातावरण निर्माण की दिशा में ठोस पहल करने की जरूरत है। उन्होंने इसके लिए स्कूली बच्चों, सामाजिक संगठनों, स्काउट एंड गाइड, रेड क्रॉस, सिविल डिफेंस सहित अन्य सामाजिक संगठनों का सहयोग लेकर आवश्यक कदम उठाने के निर्देश दिए।
उन्होंने कहा कि इसके लिए प्रदूषण नियंत्रण सप्ताह जैसे अन्य कार्यक्रमों का आयोजन किया जाना चाहिए ताकि लोग एवं स्थानीय जन-समूह प्रदूषण नियंत्रण के प्रति संवेदनशील एवं जागरूक हो सकें।
उन्होंने कहा कि वन एवं पर्यावरण विभाग का प्रशासनिक नेटवर्क निचले स्तर तक नहीं है। इसके लिए रेंजर अथवा अन्य अधिकारियों के माध्यम से जमीनी स्तर पर भी इसके लिए वातावरण तैयार करने की जरूरत है। उन्होंने सासाराम एवं रक्सौल में पत्थर तोड़ने वाली औद्योगिक इकाइयों के अंतर्गत धूल से होने वाले प्रदूषण का जिक्र करते हुए कहा कि इसके लिए विशेष उपाय किए जाने की जरूरत है।