पटना : विपक्ष और वामपंथी दलों द्वारा आयोजित किसान मार्च को लेकर वरिष्ठ भाजपा नेता व राज्यसभा सदस्य सुशील कुमार मोदी ने ट्वीट कर कहा कि बिहार पहला राज्य है, जहां एनडीए सरकार ने सिंचाई, जल संसाधन सहित दर्जन-भर विभागों को मिलाकर कृषि रोडमैप लागू किया। इससे राज्य की कृषि विकास दर पंजाब से ज्यादा हुई। बिहार में हर गांव को बिजली देने के बाद अब हर खेत को पानी देने का जमीनी सर्वे पूरा हो चुका है।
38 लाख 83 हजार किसानों ने बिजलीचलित बोरवेल के लिए आवेदन किया है। राज्य सरकार 1 जनवरी से 10 दिन तक शिविर लगाकर धान ख़रीदने जा रही है।
साथ ही सुमो ने अन्य ट्वीट में कहा कि यह कितना बड़ा छल है कि किसानों को सीमित बाजार और बँधे हुए दाम से आजादी देने वाले नये कृषि कानूनों के खिलाफ वे लोग पटना में मार्च निकाल रहे थे, जिनके लोग विश्वविद्यालयों में चीख-चीख कर आजादी देने के नारे लगाते हैं। ये बतायें कि वे अन्नदाता को बिचौलियों-आढ़तियों से आजादी क्यों नहीं दिलाना चाहते?
सुशील कुमार मोदी ने वामपंथी दलों पर निशाना साधते हुए कहा कि जो लोग वर्षों तक बिहार के खेत-खलिहान लूटते रहे, भूमि हडपों आंदोलन चलाकर गांव में तनाव फैलाते रहे और किसानों की हत्या करते रहे थे, वे आज अपने चेहरों से खून के दाग धोने के लिए किसान आंदोलन के समर्थक बन गए हैं।
15 साल तक लालू- राबड़ी सरकार की पालकी ढ़ोने वाले वामपंथी किसानों को मुंह दिखाने लायक नहीं हैं। वे पिछली विधानसभा में 3 सीट पर सिमट गई थे। पश्चिम बंगाल के नंदीग्राम से बिहार के गांवों तक किसानों की बर्बादी के गुनाहगार वामपंथी दल आंदोलन के नाटक से किसानों के हमदर्द दिखना चाहते हैं।
सुशील कुमार मोदी ने कहा कि बिहार के किसान एनडीए सरकार के काम से संतुष्ट हैं, इसलिए कृषि कानून के विरुद्ध भारत बंद और राजभवन मार्च जैसे हथकंडे विफल रहे। किसानों ने एक महीने में दूसरी बार विपक्ष को करारा झटका दिया। सोफा लगाकर ट्रैक्टर पर बैठने और मुरेठा बाँध लेने से हर कोई किसान नहीं हो जाता।