पटना : मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के पिता कविराज राम लखन सिंह, भाव मिश्र और प्रियव्रत शर्मा आधुनिक आयुर्वेद के महर्षि थे। तीनों महापुरुष आयुर्वेद और बिहार के गौरव है। इनकी मूर्तियों का निर्माण आयुर्वेद कॉलेज के पूर्ववर्ती छात्रों ने अपने खर्च पर किया है, जिसको कॉलेज के प्रांगण में लगाया जाएगा। मैं प्रयास करूंगा कि स्वयं मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इसका अनावरण करें।
केंद्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने इन्हीं शब्दों के साथ अपने संबोधन में कहा कि राजकीय आयुर्वेदिक कॉलेज एवं अस्पताल को राष्ट्रीय स्तर का दर्जा दिलाने और राजगीर में एक नए अंतरराष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान बनाने के लिए जो भी मदद की आवश्यकता होगी, वह करेंगे।
चौबे ने राजकीय आयुर्वेदिक महाविद्यालय पटना में दो दिवसीय कार्यक्रम “रोल ऑफ रस औषधि इन मैनेजमेंट ऑफ कोविड-19” विषय पर राष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन रस शास्त्र एवं भैषज्य कल्पना विभाग, राजकीय आयुर्वेद महाविद्यालय पटना द्वारा आयोजित कार्यक्रम का उद्घाटन किया।
राष्ट्रीय सेमिनार में भाग लेते हुए अश्विनी कुमार चौबे ने कहा कि कोविड-19 निश्चित रूप से मानव जाति के लिए बहुत बड़े खतरे के रूप में उत्पन्न हुआ है इतिहास गवाह है कि जब जब मानव जाति पर किसी भी प्रकार का आक्रमण हुआ है हमारे ऋषि महर्षियों ने उस आक्रमण से विश्व का बचाव किया है। आयुर्वेद की उत्पत्ति में भी कुछ इसी प्रकार की बातें देखने को मिलती हैं।
आज वैज्ञानिको चिकित्सकों की जो यह बड़ी-बड़ी गोष्ठी आयोजित हो रही हैं। ऐसा पूर्व से हमारे इस महान देश में होता आ रहा है। चरक संहिता में तो कई स्थानों पर इस प्रकार की गोष्ठियों का वर्णन भी मिलता है।
आयुर्वेद चिकित्सा में रस औषधियों का विशेष स्थान
हमने देखा है कि कोविड-19 के इस संक्रमण काल में करोड़ों करोड़ों भारतीय आयुष काढ़ा एवं आयुर्वेद में बताए गए इम्युनिटी बढ़ाने वाले उपाय एवं योग तथा प्राणायाम का सहारा लेकर अपने आप को सुरक्षित रख सके हैं। आयुर्वेद चिकित्सा में रस औषधियों का अपना एक विशेष स्थान रहा है।
वास्तव में रस औषधियों का प्रचलन ही आशुकारी चिकित्सा के रूप में हुआ था। संक्रमण को भी रोकने में रस औषधियां विशेष रूप से प्रभाव कारी हैं। प्रभावशाली रस औषधियों का निर्माण किया जाता है। कोविड-19 भी एक संक्रमक बीमारी है और इनमें भी आशु कारी चिकित्सा की जरूरत है। रेखांकित किया जा सके यही समय की मांग है”।
संबोधन में डॉ दिनेश्वर प्रसाद ने अश्विनी चौबे जी को हनुमान की संज्ञा देते हुए कहा कि अश्विनी चौबे जिस काम मे लग जाते है वह पूरा होता ही है। आयुर्वेद को बढ़ावा देने में अव्वल रहने वाले अश्विनी चौबे के प्रयास से केंद्र व राज्य सरकार के समन्वय से ये दोनों काम अवश्य ही पूरा होगा।