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किसानों को गुलाम बनाने वाली तीनों कानूनों को रद्द करे सरकार

– वामदल कार्यकर्ताओं ने प्रधानमंत्री का पुतला फूंक जताया विरोध
– राष्ट्रव्यापी विरोध दिवस के तहत शहर में निकाला जुलूस
– कांग्रेसी कार्यकर्ता हुए शामिल

नवादा : राष्ट्रव्यापी विरोध दिवस के तहत वामदल कार्यकर्ताओं ने किसान विरोधी तीनों कानूनों को रद्द करने एवं दिल्ली में आंदोलनरत किसानों पर लाठी चार्ज करने के विरोध में बुधवार को प्रजातंत्र चौक पर पीएम नरेंद्र मोदी का पुतला फूंककर विरोध जताया। साथ ही सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। इस दौरान वामदल कार्यकर्ताओं ने अंबेडकर पार्क से जुलूस निकालकर शहर के मुख्य मार्गों से होते हुए प्रजातंत्र चौक पर पहुंचे। जुलूस में शामिल कार्यकर्ताओं ने किसान विरोधी प्रधानमंत्री दिल्ली में आंदोलनरत किसानों से वार्ता करो। आंदोलनरत किसानों पर लाठी गोली चलाना बंद करो, किसान विरोध तीनों काला कानूनों को रद्द करो, किसानों के फसल का समर्थन मूल्य देना होगा।

पूंजीपतियों से यारी किसानों से गद्दारी बंद करो ,केंद्र सरकार देश की खेतों को अडानी -अंबानी के हाथों बेचना बंद करो आदि नारेबाजी की। आंदोलन को कांग्रेस का भी समर्थन मिला। जिलाध्यक्ष सतीश कुमार मंटन, महेश मुखिया, पूर्व जिला कार्यकारी अध्यक्ष राजिक खान, एजाज अली मुन्ना, नदीम हयात सहित कई कार्यकर्ता इसमें शामिल हुए। वामदलों के भाकपा माले जिला सचिव नरेंद्र प्रसाद सिंह, किसान महासभा के किशोरी प्रसाद, माकपा के जिला कमेटी सदस्य सह किसान सभा के सचिव रामयतन सिंह व भाकपा जिला कमेटी सदस्य सह किसान नेता अर्जुन प्रसाद सिंह ने संयुक्त रूप से कहा कि किसानों के फसलों का एमएसपी देना होगा।

अडानी-अंबानी के हाथों देश की खेती देकर किसानों को गुलाम बनाने की नापाक कोशिश को किसी कीमत पर वामदल सफल होने नहीं देगी। नेताओं ने कहा कि आंदोलनरत किसानों से अविलंब मोदी सरकार वार्ता कर कानून वापस लें। वरना किसानों का आंदोलन जारी रहेगा और बिहार में वामदल चुप नही बैठेगी। भाजपा की गोद में बैठी नीतिश कुमार का भी चौतरफा घेराव कर बेनकाब करेगी। मौके पर भाकपा के राजेन्द्र मांझी, राजेन्द्र वर्मा, तिलक यादव, गोविद प्रसाद ,माकपा के मुकलेश प्रसाद ,भाकपा माले के भोला राम,सुदामा देवी, खेग्रामस के अजीत कुमार मेहता ,अर्जुन पासवान वाल्मीकि राम, इनौस के अनुज प्रसाद, सरस्वती देवी, संपतिया देवी, शांति देवी, कुंती देवी, समेत सैकड़ों की संख्या में वामदल कार्यकर्ता शामिल थे।