सात निश्चय को लेकर राजद व लोजपा के निशाने पर नीतीश सरकार
पटना: बिहार विधानसभा चुनाव के बीच आयकर विभाग ने ठेकेदारों और कारोबारियों के ठिकानों पर छापे मारकर 75 करोड़ रुपये की अघोषित आय का पता लगाया है। यह छापेमारी बिहार के अलग-अलग जिलों में हुई थी। अब इसको लेकर राष्ट्रीय जनता दल के प्रदेश प्रवक्ता चित्तरंजन गगन ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी से पूछा कि आयकर विभाग द्वारा किये गये छापामारी में सरकारी ठेकेदारों के यहाँ से प्राप्त 75 करोड़ रुपये की अघोषित सम्पत्ति किसकी है।
राजद प्रवक्ता ने कहा कि जिन ठेकेदारों के यहाँ बीते दिन आयकर विभाग द्वारा किये गये छापेमारी में 75 करोड़ रुपये के अवैध सम्पत्ति के कागजात और तीन करोड़ 21 लाख रूपए नकदी का पता चला है, वे मुख्यमंत्री और उप मुख्यमंत्री के काफी करीबी लोगों में हैं। इनकी सीधी पहुंच मुख्यमंत्री, उप मुख्यमंत्री सहित सत्ता से जुड़े नेताओं तक है।
जिसका अनुचित लाभ उठाते हुए इन ठेकेदारों को सारे कायदे कानून को दरकिनार कर ” सात निश्चय ” के अधीन आने वाली योजनाओं का ठीका दिया जाता रहा है और बगैर काम कराये इन लोगों को करोड़ों-करोड़ रुपये का भुगतान भी होते रहा है। हालांकि, विधानसभा चुनाव के समय केन्द्र सरकार के इशारे पर की गई यह छापामारी भाजपा के उस रणनीति का हीं हिस्सा है जिसके तहत वह नीतीश कुमार के चेहरे से सुशासन बाबू का मुखौटा उतार कर उनसे अपने पुराने अपमान का हिसाब चुकता करना चाहती है।
राजद प्रवक्ता ने कहा कि बगैर मुख्यमंत्री और वित्त मंत्री के आशीर्वाद और संरक्षण के बिना काम कराए फर्जी कम्पनियों के नाम पर फर्जी बील बनाकर हजारों-हजार करोड़ रुपये का भुगतान करना संभव नहीं है।
विदित हो कि इस छापेमारी को लेकर लोजपा प्रमुख चिराग पासवान ने कहा कि आयकर विभाग को बिहार की जनता की तरफ़ से बहुत-बहुत बधाई कि सात निश्चय के अंदर जल नल में हुए भ्रष्टाचार को उजागर कर प्रदेश की जनता के सामने रखने का काम किया। सात निश्चय आज़ादी के बाद हुए सबसे बड़े घोटाले का नाम है।सात निश्चय पार्ट-2 नीतीश कुमार जी की सबसे भ्रष्टाचारी योजना है।