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भगवान शिव और विष्णु का प्रतीक है आंवला वृक्ष, पूजा से दूर होती है दरिद्रता

– अक्षय नवमी ( भुआदान) 23 को

नवादा : लोक आस्था का चतुर्दिवसीय व्रत छठ की समाप्ति के साथ ही महिलाएं अक्षयनवमी (भुआदान) की तैयारियां आरंभ कर दी है । अक्षय नवमी या आंवला नवमी को हिंदू संस्कृति में सबसे महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक माना जाता है। इस उत्सव को हिंदू कैलेंडर के अनुसार कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष के नौवें दिन (नवमी तिथि) को मनाया जाता है।

इस बार यह पर्व 23 नवंबर को है।

यह प्रकृति के प्रति आभार व्यक्त करने का भारतीय संस्कृति का पर्व है। इस दिन आंवले के पेड़ का पूजन कर परिवार के लिए आरोग्यता व सुख -सौभाग्य की कामना की जाती है। इस दिन किया गया तप, जप, दान इत्यादि व्यक्ति को सभी प्रकार के कष्टों से मुक्त करता है तथा सभी मनोकामनाओं की पूर्ति करने वाला होता है। महिलाएं आंवला बृक्ष को साक्षी मानकर ब्राम्हणों को गुप्त दान करती है । इसे मगध में भुआदान के नाम से जाना जाता है ।शास्त्रों के अनुसार अक्षय नवमी के दिन आंवले के वृक्ष में भगवान विष्णु एवं शिवजी का निवास होता है। मान्यता है कि इस दिन इस वृक्ष के नीचे बैठने और भोजन करने से सभी रोगों का नाश होता है।

माता लक्ष्मी ने की सर्वप्रथम पूजा :-

आंवला नवमी पर आंवले के वृक्ष की पूजा और इसके वृक्ष के नीचे भोजन करने की प्रथा की शुरुआत करने वाली माता लक्ष्मी मानी जाती हैं। पौराणिक कथा के अनुसार एक बार माता लक्ष्मी पृथ्वी पर भ्रमण करने आईं। धरती पर आकर भगवान विष्णु एवं शिव की पूजा एक साथ करने  की उनकी इच्छा हुई। लक्ष्मीजी ने सोचा कि एक नारायण और शिव की पूजा कैसे हो सकती है। तभी उन्हें ध्यान आया कि श्री हरि की प्रिय तुलसी और शिव स्वरुप बेल के गुण एक साथ आंवले के वृक्ष में होते है। आंवले के वृक्ष को विष्णु और शिव का प्रतीक चिह्न मानकर माँ लक्ष्मी ने आंवले के वृक्ष की पूजा की। पूजा से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु और शिव प्रकट हुए। लक्ष्मी माता ने आंवले के वृक्ष के नीचे भोजन बनाकर विष्णु और भगवान शिव को भोजन कराया। इसके बाद स्वयं ने भोजन किया।

आंवला नवमी पूजा

आज के दिन सूर्योदय से पूर्व स्नान करके आंवले के वृक्ष की पूजा का विधान है। आंवले की जड़ में दूध चढ़ाकर रोली, अक्षत, पुष्प, गंध आदि से पवित्र वृक्ष की विधिपूर्वक पूजा करें। इसके बाद आंवले के वृक्ष की सात परिक्रमा करने के बाद दीप प्रज्वलित करें। उसके उपरांत कथा का श्रवण या वाचन करें। अक्षय नवमी के दिन अगर आंवले की पूजा करना और आंवले के वृक्ष के नीचे बैठकर भोजन बनाना और खाना संभव नहीं हो तो इस दिन आंवला ज़रूर खाना चाहिए।

आंवला का सेवन है लाभकारी:-

पद्म पुराण के अनुसार आंवला फल श्री हरि को प्रसन्न करने वाला व शुभ माना गया है। इसके भक्षण मात्र से मनुष्य सब पापों से मुक्त हो जाते हैं। आंवला खाने से आयु बढ़ती है उसका रस पीने से धर्म-संचय होता है और उसके जल से स्नान करने से गरीबी दूर होती है तथा सब प्रकार के ऐश्वर्य प्राप्त होते हैं। आंवले का दर्शन, स्पर्श तथा उसके नाम का उच्चारण करने से वरदायक भगवान श्री विष्णु अनुकूल हो जाते हैं। जहां आंवले का फल मौजूद होता है वहां भगवान श्री विष्णु सदा विराजमान रहते हैं तथा उस घर में ब्रह्मा एवं सुस्थिर लक्ष्मी का वास होता है।