पहले चरण के बाद बदला चुनावी रुख , ऐसे बदले नेताओं के बोल

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पटना : बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर पहले चरण का मतदान संपन्न हो चुका है। पहले चरण के मतदान में कहीं-कहीं से मतदान बहिष्कार की भी खबरें सामने आई थे। इसके बावजूद पूरे बिहार में प्रथम चरण में 53.54% मतदान हुए।

वहीं पहले चरण के मतदान के बाद जो प्रमुख पांच बातें निकल कर सामने आई है। उनमें से पहला यह है कि इस बार लोग रोजगार के मुद्दे को अधिक प्रमुखता से देख रहे हैं। अब पहले चरण के मतदान के बाद यह बात सीएम नीतीश कुमार और भाजपा दोनों को एहसास हो गया है।

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दूसरा इस बार बिहार की जनता मात्र दो ही दलों को देख रही है पहला एनडीए गठबंधन और दूसरा महागठबंधन। इसके बाद तीसरा महागठबंधन के नेता तेजस्वी यादव का लगातार मुखर होकर जवाब देना भाजपा और जदयू के नेता पर भारी पड़ रहा है। वहीं चौथा चिराग पासवान द्वारा लगातार मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर हमला कर उनकी सभी योजनाओं पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाना। वहीं अंतिम और पांचवा सीएम नीतीश कुमार की सरकार पर एंटी इनकंबेंसी।

पहले चरण के मतदान के बाद जो बातें निकल कर सामने आ रही है उसके मुताबिक पहले चरण में जदयू को अधिक नुकसान उठाना पड़ सकता है। पहले चरण में लोजपा भी जदयू को अधिक नुकसान पहुंचाई है। कहीं-कहीं पर लोग मतदान करने भी नहीं निकले इसका असर जदयू के वोटों पर देखने को मिल रहा है।

भाषण का प्रारूप को परिवर्तित करते नज़र आए नीतीश

वहीं पहले चरण का मतदान होने के बाद यह बात मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को भी समझ में आने लगा है। जिसके बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अपने चुनावी सभाओं में अभी तक के भाषण का प्रारूप को परिवर्तित करते हुए दूसरे प्रारूप में लोगों को संबोधित करते हुए नजर आ रहे हैं। पहले चरण के मतदान होने से पूर्व तक नीतीश कुमार खुद के किए गए कामों को गिना रहे थे। लेकिन अब नीतीश कुमार द्वारा पीएम मोदी के चेहरे पर इस वेतरनी पार करने की उम्मीद लगाई जा रही है। हालांकि इस बात की भनक बिहार में पहले चरण के मतदान के दौरान पीएम मोदी द्वारा मुजफ्फरपुर में किया जा रहे संबोधन के बाद लग गई ।

सीएम नीतीश की लोकप्रियता में कमी

मालूम हो कि कुछ दिन पूर्व किए गए कई एजेंसियों के सर्वे में सीएम नीतीश की लोकप्रियता में कमी की बात निकल कर आई है । तो जाहिर है एनडीए की ओर से रणनीति चेंज करने की कवायद शुरू हो गई है। नीतीश सरकार के 15 वर्षों के कार्यकाल के बाद एंटी-इनकंबेंसी की खबरें भी सुर्खियां बन रही हैं। ऐसे में एनडीए के चुनावी रणनीतिकार अब मोदी फैक्टर को आगे करने की जुगत में लगे हैं।

सीएम नीतीश भी खुद को फ्रंट से अब पीछे करते हुए नजर आए

इसी रणनीति के तहत सीएम नीतीश भी खुद को फ्रंट से अब पीछे करते हुए नजर आए और पीएम मोदी को आगे करने की रणनीति अपना ली। इस बात को पटना में एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए सीएम नीतीश कुमार ने कहा कि एनडीए की सत्ता आने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बिहार को विकसित राज्य बनाएंगे। इसके साथ ही नीतीश कुमार अपने रैलियों में अपने किए गए कामों को ना बतलाकर नई योजना के बारे में बतला रहे हैं।

बाबू साहब वाले बयान को लेकर फंस चुके हैं तेजस्वी

वहीं राजद के नेता और महागठबंधन के मुख्यमंत्री चेहरा तेजस्वी यादव जी यह बात जानते हैं कि यदि उनके द्वारा प्रधानमंत्री पर कोई हमला किया गया तो इसका नुकसान उनको सवर्ण वोटों से उठाना पड़ सकता है। क्योंकि वह इससे पहले बाबू साहब वाले बयान को लेकर फंस चुके हैं। ऐसे में तेजस्वी भी अपना कदम फूंक-फूंक कर रख रहे हैं। तभी तेजस्वी यादव द्वारा नरेंद्र मोदी द्वारा उनको ‘जंगलराज के युवराज’ कहे जाने पर उन्होंने इस पर सधी प्रतिक्रिया नहीं दी और कहा कि वह पीएम हैं इसलिए कुछ भी कह सकते हैं।

दरअसल तेजस्वी को यह पता है कि लड़ाई अगर नीतीश को आगे कर लड़ी गई तो चांस बेहतर है, लेकिन अगर पीएम मोदी सामने आ गए तो फिर खेल बिगड़ भी सकता है। ऐसे में देखना यह दिलचस्प होगा कि एनडीए का यह नया उपाय मतदाताओं को कितना लुभा पाता है।

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