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कोविड महामारी के बाद रोजगार की राह

कोविड महामारी ने सभी को बहुत कुछ सोचने समझने को विवश किया है। जीवनयापन के जो साधन अर्थात जीविकोपार्जन के जो साध्य उपलब्ध हो उनके प्रति अधिकतर लोगों का नजरिया बदला है। लाॅकडाउन की वजह से आर्थिक गतिविधियां के पहियों पर पूर्णतः ब्रेक सा लग गया। परिवार की आवश्यकताओं की पूर्ति करने वाले कर्मवीरों के समक्ष चिंता के साथ अनिश्चितता की स्थिति आ गयी।

भविष्य असुरक्षित एवं अंधकारमय प्रतीत होने लगा। आईटी सेक्टर से लेकर पर्यटन, व्यवसाय, होटल उद्योग, बैंकिंग बीमा, कोचिंग उद्योग सभी जगह कर्फ्यू लगा था। वैसे सभी क्षेत्र जिसमें रोजगार के असीम संभावनाओं के द्वार खुले प्रतीत होते थे, अचानक से अंधकार में विलीन होने गले। कर्मचारियों की छंटनी, सैलरी में कटौती, वेतन-वृद्धि पर रोक, कार्य की अंधिकता से कार्यरत कर्मचारियों खासकर युवाओं जो अधिकांशत मध्यमवर्ग से संबद्ध है दो-चार होना पड़ा है। इस कोरोना काल से पहले आर्थिक मंदी की आहट पहले से ही अपनी दस्तक दे चुकी थी। एक तो नीम उस पर से करेला का स्वाद जैसा अनुभव है यह परिस्थिति। युवाओं एवं कर्मचारियों में तनाव, अनिंद्रा, रक्तचाप जैसी समस्याएं आम हो गयी। वैसे भी आईटी एवं बैंकिंग जैसी चुनिंदा क्षेत्रा के कर्मचारी पहले से ही अपने कार्य-क्षेत्र में एकरसता एवं कार्य अधिकता की शिकायत करते रहे हैं।

कोरोनाकाल जैसी विषम परिस्थिति में युवाओं द्वारा स्टार्टअप, खेती-किसानी, मत्स्य पालन, खाद्य प्रस्संकरण, डेयरी उद्योग जैसे क्षेत्र में शानदार सफलता की कहानी हमें आशामुखी बनाती है एवं प्रेरणा देती है। हम कई बार समाचारपत्रों, पत्रिकाओं एवं न्यूज चैनलों में प्रेरणादयी खबरों को पढ़ते व देखते हैं, जिसमें आईआईटी एवं अन्य विश्वस्तरीय संस्थानों से पढ़े छात्र अपनी बहुराष्ट्रीय कंपनी की नौकरी छोड़कर स्टार्टअप, खेती-किसानी, डेयरी, खाद्य-प्रसंस्करण, योग, संगीत के क्षेत्र में सफलता के झंडे फहरा रहे हैं। ये युवा न केवल अपने कार्य क्षेत्र में सफल है बल्कि जीवन आनंद का लाभ उठा रहे है और उत्साह से लबरेज होकर अन्य युवाओं को भी प्रोत्साहित कर रहे है।

इस कड़ी में आत्मनिर्भर भारत अभियान का जिक्र करना प्रासंगिक होगा, क्योंकि इससे रोजगार की राह आसान हो जाती है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोरोना महामारी के दौरान मई महीने के दूसरे सप्ताह में देश को संबोधित करते हुए आत्मनिर्भर भारत अभियान की चर्चा की। इस दौरान प्रधानमंत्री ने कोरोना से पहले तथा बाद की दुनिया के बारे में बात करते हुए कहा था कि 21वीं सदी के भारत के सपने को साकार करने के लिये देश को आत्मनिर्भर बनाना जरूरी है। उन्होंने इस बात पर बल दिया था कि भारत को कोरोना संकट को एक अवसर के रूप में देखना चाहिए।

प्रधानमंत्री की बातों का दूरगामी महत्व है। वर्तमान वैश्वीकरण के युग में आत्मनिर्भरता की परिभाषा में बदलाव आया है। आत्मनिर्भरता की अवधारणा आत्मकेंद्रित से अलग है। सभी जानते हैं कि भारत वसुधैवकुटुंबकम की संकल्पना में विश्वास करता है और उसका अनुसरण भी करता है। चूँकि भारत दुनिया का ही एक हिस्सा है, अतः भारत प्रगति करता है, तो ऐसा करके वह दुनिया की प्रगति में भी योगदान देता है। ‘आत्मनिर्भर भारत’ के निर्माण में वैश्वीकरण का बहिष्करण नहीं किया जाएगा अपितु दुनिया के विकास में मदद की जाएगी।

आत्मनिर्भर भारत अभियान को ध्यान से अवलोकन करने पर हमें स्वरोजगार के रास्ते नजर आएंगे। जैसे इस अभियान के प्रथम चरण में चिकित्सा, वस्त्र, इलेक्ट्रॉनिक्स, प्लास्टिक, खिलौने जैसे क्षेत्रों को प्रोत्साहित किया जाएगा, ताकि स्थानीय विनिर्माण और निर्यात को बढ़ावा दिया जा सके। वहीं द्वितीय चरण में रत्न एवं आभूषण, फार्मा, स्टील जैसे क्षेत्रों को प्रोत्साहित किया जाएगा।

दोनों चरणों में व्यवसाय के जिन क्षेत्रों का वर्णन है, उसके तहत सूक्ष्म एवं लद्यु उद्यम शुरू कर युवा न सिर्फ खुद को आत्मनिर्भर बना सकते हैं, बल्कि दो-चार अन्य युवाओं को भी रोजगार दे सकते हैं। यह कठिन नहीं है, क्योंकि सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योगों के लिए क्रेडिट गारंटी योजना आरंभ की गई है। सरकार द्वारा इस संबंध में बैंकों को क्रेडिट गारंटी दी जाती है कि यदि उद्यमी ऋण चुकाने में सक्षम नहीं होंगे, तो उक्त ऋण सरकार द्वारा चुकाया जाएगा। यह घोषणा उन युवाओं के लिए राहत भरा है, जो अपना उद्यम शुरूद करना चाहते हैं।

कृषि, डेयरी उद्योग, फूड-प्रोसेगिंग, संगीत, योग-अध्यात्म, चित्रकला, फोटोग्राफी का प्रशिक्षण, व्यावसायिक एवं तकनीकि शिक्षा के साथ-साथ भी ली जा सकती है। उद्योग एवं रोजगार के क्षेत्र में उत्पन्न अप्रत्याशित परिस्थितियों एवं संकट की स्थिति यथा मंदी, छंटनी एवं महामारी जैसी परिस्थितियों में ये वैकल्पिक क्षेत्र आपको स्थाथित्व देगें। आर्थिक संरक्षा एवं आपके एवं आपके परिवार के भविष्य को संरक्षित करेंगे। ये रोजगार के वैक्ल्पिक क्षेत्र स्वालम्बन के साथ अन्य लोगों के लिए रोजगार का सृजन भी करते हैं तथा जीवन एवं कार्य क्षेत्र में आय एकरसता, अनिश्चितता को कम करते है तथा जीवन में स्थायित्व प्रदान करते हैं।

अब युवाओं को गंभीर रूप से इन वैकल्पिक क्षेत्रों में रोजगार हेतु प्रशिक्षण रूपी निवेश करना होगा, ताकि समानांतर रूप से रोजगार के विकल्प उपलब्ध हो सके। यह युवाओं के लिए तनाव कम करने वाला होगा और साथ ही शिक्षा पूरी करने के बाद से स्वागलंबन बनाने की दिशा में भी सहायक होगा।