पटना : बिहार विधानसभा चुनाव के मद्देनजर इस बार बिहार में अभी तक राजनीतिक दलों में उठापटक मचा हुआ है। अभी भी बिहार में नेताओं द्वारा अपने पुराने दल से संबंध तोड़ नए दल में शामिल होने का सिलसिला जारी है। वर्तमान में बिहार में जैसी स्थिति बन रही है उसके हिसाब से देखा जाए तो इस इस बार यह कहना कहीं से गलत नहीं होगा कि क्या इस बार बिहार में बागियों द्वारा सरकार बनाई जाएगी।
बिहार विधानसभा चुनाव इस बार गठबंधनों की भरमार है। बिहार में अब तक कुल 6 गठबंधन बन चुके हैं और सत्तारूढ़ एनडीए और विपक्षी महागठबंधन में शामिल दलों के लिए बागी नेता बड़े सिरदर्द बन रहे हैं। बागियों के लिए ढेर सारे विकल्प होने के कारण इस बार इन्हें रोकना इन दलों के लिए आसान नहीं है। इस बार इन दलों के बागियों के सामने लोजपा, एआईएमआईएम-बसपा-आरएलएसपी-एसजेडी गठबंधन जैसे कई अहम विकल्प हैं। बागियों के लिए जाप और भीम आर्मी गठंबधन भी एक विकल्प है।
बिहार विधानसभा चुनाव से पूर्व भाजपा द्वारा अभी तक नौ नेताओं को चिह्नित कर 6 साल के लिए निष्कासित कर दिया है। लेकिन अभी जो नेता बागी होकर मैदान में डटे हैं उनमें रामेश्वर चौरसिया सासाराम से, राजेन्द्र सिंह दिनारा से, उषा विद्यार्थी पालीगंज से, श्वेता सिंह संदेश से, झाझा से रवीन्द्र यादव, जहानाबाद से इंदू कश्यप, अजय प्रताप जमुई से, मृणाल शेखर अमरपुर तो अनिल कुमार बिक्रम से चुनाव लड़ रहे हैं। वहीं जदयू से भी अब तक 15 लोगों को चिह्नित कर उन्हें बाहर का रास्ता दिखाया जा चुका है। इसमें से भी कुछ बागी नेता दूसरे दलों से समर्थन प्राप्त कर चुनाव मैदान में उतर चुके हैं।