महराजगंज: चिराग के हुए भाजपा के देवराज, जदयू की मुश्किलें बढीं
पटना: बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर सभी प्रमुख दलों ने अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है। चुनाव को लेकर कुछ दिनों पूर्व तक यह कहा जा रहा था कि मुकाबला भाजपा-जदयू गठबंधन बनाम राजद-कांग्रेस गठबंधन के बीच होगा। लेकिन, एनडीए में बात नहीं बनने के बाद लोजपा ने भाजपा-जदयू गठबंधन से अलग होकर कथित लोजपा-भाजपा गठबंधन का एलान कर दिया।
चिराग द्वारा इस गठबंधन का एलान होते ही टिकट से वंचित भाजपा नेता ने लोजपा में शामिल होकर पारंपरिक सीट से अखाड़े में उतर चुके हैं, उतर रहे हैं और आगे भी उतरेंगे, ऐसी उम्मीद है। राजनीतिक जानकारों की मानें तो बागियों से चिराग का बंगला काफी गुलजार हो गया है। ऐसे में इस बात की चर्चा तेज हो गई है कि जहाँ-जहाँ से भाजपा के बागी नेता लोजपा के सिम्बल पर चुनाव लड़ रहे हैं वहां का मुकाबला काफी दिलचस्प व त्रिकोणीय होगा।
इस क्रम में महाराजगंज विधानसभा सीट जदयू को जाने के बाद पूर्व विधायक व भाजपा नेता डॉ. देव रंजन सिंह लोजपा के सिम्बल पर चुनावी मैदान में उतर चुके हैं। डॉ. देव रंजन सिंह को 2014 के उपचुनाव में जीत हासिल की थी। जबकि 2015 के चुनाव राजद-जदयू गठबंधन होने के कारण भाजपा को इस सीट पर हार का सामना करना पड़ा था। 2015 के चुनाव में महागठबंधन के उम्मीदवार हेम नारायण साह को 68 हजार 459 वोट मिले थे, जबकि भाजपा उम्मीदवार को 48 हजार 167 वोट मिले थे।
दरअसल, लोजपा से उतरने के पीछे यह बात बताई जा रही है कि काफी समय से यह चर्चा थी कि इस बार महराजगंज सीट भाजपा के कहते में जाएगी और यहाँ से भाजपा के उम्मीदवार होंगे। लेकिन, महागठबंधन धर्म के कारण यह सीट जदयू के पास ही रह गई और यहाँ से हेम नारायण साह को जदयू ने उम्मीदवार बना दिया। इसके बाद देव रंजन सिंह बागी हो गए और लोजपा के सिंबल से चुनावी मैदान में उतरने का फैसला किया है।
देवरंजन सिंह जो कि आरएसएस के स्वयंसेवक रहे, फिर इन्होनें संघ के विभिन्न अनुषांगिक संगठनों के लिए क्षेत्र में काम करते रहे हैं। इसके साथ ही इनकी पहचान एक जमीनी नेता के तौर पर होती है। लोजपा के सिम्बल से चुनावी मैदान में उतरने के बाद महराजगंज का महाराज कौन होगा, इसके बारे में फिलहाल बताना मुश्किल है।