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चिराग ने गाया ‘प्रधान’ का राग

पटना: केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान का देहांत विगत गुरुवार की रात दिल्ली के एस्कॉर्ट हार्ट इंस्टीट्यूट में 74 वर्ष की आयु में हो गया था। रामविलास पासवान के बारे में कहा जाता है कि यह एक ऐसे नेता थे जिन्होंने अपने संपूर्ण जीवन काल में भारत के 6 प्रधानमंत्रियों के साथ काम किया था। इनका देश के हर एक प्रधानमंत्री के साथ बहुत ही पारिवारिक संबंध था।

रामविलास पासवान के निधन के बाद पीएम मोदी ने बड़ी आत्मीयता के साथ चिराग के परिजनों से मिले और सांत्वना दी। इसके बाद पीएम मोदी चिराग के परिवार से मिलकर चिराग को गले लगाकर ढाढस बढ़ाया था। अब चिराग ने पिता के देहांत के बाद पीएम मोदी से मिले स्नेह व सहयोग को लेकर आभार जताते हुए कहा कि आदरणीय प्रधानमंत्री नरेंद्र जी द्वारा पापा की अंतिम यात्रा में किए गए सहयोग के लिए हृदय से आभार। सर आपने पापा की अंतिम यात्रा के लिए सभी व्यवस्था बिना माँगे की। बेटे के तौर पर मैं एक मुश्किल समय से गुजर रहा हूँ। आप के साथ से हिम्मत और हौसला दोनो बढ़ा है। आप का आशीर्वाद व स्नेह हमेशा बना रहे।‬

शालीन व्यवहार के धनी रामविलास जी दोस्तपरस्त व्यक्ति थे

रामविलास पासवान के बारे में कहा जाता है कि राजनीति में जो लोग हैं या आते रहते हैं, वे पासवान जी से शालीनता, विनम्रता सीखें, यदि उनमें इन गुणों की कमी है। वे ऐसी सामाजिक पृष्ठभूमि से आते थे, जिसके सदस्य में उत्पीड़क लोगों के लिए गुस्सा स्वाभाविक है। लेकिन, रामविलास पासवान के व्यवहार में वैसी तल्खी नहीं थी। रामविलास पासवान के जीवन से विधायिका के नए सदस्यों को सीखना चाहिए। वे संसद या विधान सभा के ‘जीरो आॅवर’ और ‘आधे घंटे के डिबेट’ की सुविधाओं का बेहतर इस्तेमाल करते थें। जिसके कारण उनकी छवि निखरी थी।