पंचायतों में बनेंगे सामुदायिक स्वच्छता परिसर

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पटना: राज्य के 32 जिलों में सामुदायिक स्वच्छता परिसर बनाए जाएंगे। यह परिसर करीब 4300 पंचायतों में बनाए जाएंगे। कई जगह का निर्माण शुरू भी हो गया है। बाढ़ और जल प्लावन के दौरान प्रभावित क्षेत्रों में ऐसे स्वच्छता परिसर बनाए जाने से आम लोगों को काफी सुविधा होगी। इन परिसरों में सामुदायिक शौचालय, स्नानागार आदि की व्यवस्था रहेगी ताकि बाढ़ पीड़ितों तथा शौचालय विहीन लोगों को उसके उपयोग में मदद मिले।

खास बात यह है कि सरकारी या निजी भूमि पर भी ऐसे स्वच्छता परिसर बनाए जा सकेंगे । जिला स्तर पर जिला जल स्वच्छता समिति एवं पंचायतों में पंचायत समिति की देखरेख में इन शौचालय परिसरों के निर्माण को साकार किया जाएगा। इसमें कम से कम शौचालयों के चार यूनिट रहेंगे, जो ग्रामीणों के उपयोग में आएंगे।

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इसकी देखभाल और मेंटेनेंस का काम पंचायतों का ही होगा प्रत्येक परिसर के निर्माण पर तीन लाख रुपए खर्च होंगे। जिलाधिकारी से मंजूरी मिलने पर इनका काम शुरू होगा। खास बात है कि केंद्र सरकार की हालिया गरीब कल्याण योजना से इन परिसरों के निर्माण के पैसे दिए जाएंगे। इसमें प्रमुख तौर पर प्रवासी मजदूरों को लगाया जाएगा ताकि वर्षा ऋतु के मौके पर भी होने वाले काम में उन को रोजगार दिया जा सके।

ग्रामीण विकास विभाग का मानना है कि इस कार्य में 50,000 से अधिक मानव दिवस का सृजन होगा। साथ ही करीब साढ़े पांच हजार हजार कुशल प्रवासी मजदूरों को काम मिलेगा। चालू वर्ष में यह काम पूरा कर लिया जाएगा। बाहर से आए मजदूरों में इन कुशल मजदूरों को चिन्हित किया गया है। ये लोग भवन निर्माण कार्य एवं शौचालय आदि के निर्माण में कुशल कारीगर हैं।

ग्रामीण विकास मंत्री के मुताबिक गरीब कल्याण रोजगार अभियान के तहत कम अवधि में ही ऐसे 90 सामुदायिक स्वच्छता परिसर का निर्माण किया जा चुका है। कई जगह यह निर्माणाधीन है। इन परिसरों के निर्माण से लाखों भूमिहीन गरीब ग्रामीण परिवारों को शौचालय की सुविधा मिलेगी और राज्य को खुले में शौच से मुक्ति दिलाने में यह परिसर काफी महत्वपूर्ण और प्रभावी सिद्ध होंगे।

मालूम हो कि राज्य में लोहिया स्वच्छ बिहार अभियान के तहत 1546 सामुदायिक स्वच्छता परिसर पहले भी बनाए जा चुके हैं। उनका उपयोग भूमिहीन परिवार करते हैं । वैसे राज्य में एक करोड़ 27 लाख 84 हजार ग्रामीण परिवारों को शौचालय से आच्छादित किया जा चुका है।

चालू वर्ष में वित्तीय वर्ष में वैसे छोटे परिवार जिन्होंने किसी कारण से अपना शौचालय का निर्माण नहीं कराया अथवा संयुक्त परिवार से अलग होकर व्यक्तिगत रूप से बस गए या जिनके बाढ़ आदि प्राकृतिक आपदा में शौचालय ध्वस्त हो गए उनके लिए भी करीब दो लाख 82 हजार शौचालय निर्माण किया जाना है।

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