पटना: बिहार के डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय वीआरएस (VRS) लेने के बाद मीडिया से बात करते हुए कहा कि मैंने वीआरएस ली है, यह मेरा लोकतांत्रिक अधिकार है। उन्होंने कहा कि बीते 2 महीने से मेरा जीना मुश्किल था। रोज हजारों फोन आ रहे थे। इस्तीफा देने को लेकर सवाल पूछे जा रहे थे। मैं परेशान हो गया था।
गुप्तेश्वर पांडेय ने कहा कि 31 साल की नौकरी में कोई भी दल या नेता मेरे पूर्वाग्रह से फैसले पर सवाल नहीं खड़े कर सकते।कोई यह भी नहीं कह सकता कि मैंने किसी अपराधी के साथ कोई समझौता किया। मैंने 50 से अधिक मुठभेड़ की लेकिन, कोई ये नहीं कह सकता कि मैंने जात धर्म देखकर फैसला लिया है।
सुशांत मामले को लेकर पूर्व डीजीपी ने कहा कि मेरे VRS को सुशांत केस से जोड़कर देखा जा रहा है, जो बिल्कुल गलत है। हमारे अधिकारियों के साथ बेइज्जती हुई तब मैंने हंगामा शुरू किया और बिहार की अस्मिता के लिए मैंने लड़ाई लड़ी। मैंने सुशांत के बूढ़े बाप की मदद की और सुप्रीम कोर्ट ने भी बिहार पुलिस के फैसले को सही ठहराया।
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पूर्व डीजीपी ने कहा कि मैं बिहार की माटी का हूं। सेल्फ मेड आदमी हूँ। मेरे परिवार में कोई जज नहीं, कोई अधिकारी नहीं, जमीन पर बैठकर पढ़ा और अपने मकसद को पूरा किया।
हालांकि उन्होंने चुनाव लड़ने को लेकर अभी तक अपना रुख स्पष्ट नहीं किया है। चुनाव लड़ने के मसले पर उन्होंने कहा कि लोग चाहते हैं कि मैं चुनाव लड़ूँ, लेकिन अभी मैं अपने लोगों से मिलूंगा फिर इस पर अपना निर्णय लूंगा।
बता दें कि गुप्तेश्वर पांडेय के वीआरएस लेकर राजनीति में जाने को लेकर पूर्व मंत्री चंद्रशेखर ने कहा कि डीजीपी रहते हुए भी गुप्तेश्वर पांडेय नेतागिरी ही कर रहे थे। ऐसे अधिकारियों के राजनीति में आने से सालों तक खटनेवाले नेताओं की हकमारी होगी। हम देख रहे हैं दुनियाभर का सुख प्राप्त करने के बाद रिटायर होने के समय अधिकारी राजनीति में आ जाते हैं। गुप्तेश्वर पांडेय के डीजीपी रहते हुए पुलिसिंग पूरी तरह से खत्म हो गई। इतनी खराब पुलिसिंग इससे पहले मैंने कभी नहीं देखी।