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राज्य में चौर भूमि पर किया जाएगा मछली पालन

समेकित जल कृषि की योजना साकार होगी

पटना: राज्य में फैले लंबे-चौड़े चौर भूमि के दिन अब बहुरने वाले हैं। उस दलदली भूमि का व्यवसायिक उपयोग होगा। इस भूमि पर न सिर्फ समेकित जल कृषि योजना चलाई जाएगी, बल्कि सबसे पहले मछली पालन का कार्य शुरू किया जाएगा।

दरअसल, यह राज सरकार की नई योजना है जिसमें चौर भूमि को विकसित कर मछली पालन के योग्य बनाना है। इसमें निजी क्षेत्र के विकसित और बेकार पड़े क्षेत्र को विकसित करना है। सरकार ने पहली बार एक पायलट परियोजना शुरू करने जा रही है जिसमें इस क्षेत्र में मछली पालन के संभावनाओं को देखा जाएगा।

दरभंगा, छपरा, सिवान गोपालगंज ,पूर्वी चंपारण और पश्चिमी चंपारण के तौर क्षेत्र का विकास इस पायलट परियोजना के तहत होगा। सरकार ने पहले चरण में 15 करोड़ की राशि स्वीकृत कर दी है। 316 हेक्टेयर क्षेत्र में समेकित विकास योजना चलाई जाएगी। चौर यानी दलदली क्षेत्र में इस परियोजना के तहत करीब डेढ़ 2 फीट शुरुआती मिट्टी काटकर वहां पर उपलब्ध पानी में मछली पालन किया जाएगा।

चौर भूमि

वहां जो तालाब विकसित किए जाएंगे, उसके किनारे पर वृक्षारोपण भी किया जाएगा। जल में होने वाले अन्य किसी फसल के उत्पादन किए जाएंगे। राज्य में 9 लाख 41 हजार हेक्टेयर में यह चौर भूमि है। यह क्षेत्र प्राय सालों भर पानी में डूबा रहता है। यह भूमि विभिन्न नदियों के किनारे की वैसी दलदली जगह होती है जहां पर कोई फसल नहीं हो पाती है। इसलिए सरकार ने इन क्षेत्रों को मछली पालन के लिए चुना है।

क्या कहते हैं मंत्री

पशुपालन मंत्री प्रेम कुमार ने कहा कि जल जीवन हरियाली योजना को साकार करने में इन क्षेत्रों का विकास काफी मददगार होगा। सरकार की महत्वाकांक्षी योजना से कम से कम 300 मीट्रिक टन अतिरिक्त मछली का उत्पादन यहां से हो सकेगा। साथ ही कृषि एवं वानिकी के अन्य उत्पाद भी यहां से प्राप्त हो सकेंगे। पायलट परियोजना की सफलता के बाद सभी जिलों के चौर भूमि पर इसे लागू किया जाएगा।