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पटना की यह सीट भाजपा के लिए चुनौती

पटना: चुनावी बिगुल बज चुका है। पटना में पहले और दूसरे चरण का मतदान होना है। पहले चरण के मतदान की नामांकन प्रक्रिया ख़त्म होने में बस 4 दिन बचे हैं। लेकिन, अभी किसी राजनीतिक दल ने प्रत्याशी की घोषणा नहीं की है। दावेदार अभी टिकट की जंग में लगे हैं। दावेदारों और गठबंधन के सहयोगियों के दावे से प्रत्याशी घोषणा में देरी हो रही है।

ऐसे में किसानी क्षेत्र होने और राजधानी से सटे फतुहा विधानसभा क्षेत्र सबसे ज्यादा चर्चा में है। राष्ट्रीय और क्षेत्रीय दल में घमासान चुनावी संघर्ष होता दिख रहा है। बिहार प्रदेश के हर सीट पर एक दूसरे को टक्कर देने के लिए प्रत्याशी कमर कस चुके हैं। फतुहा विधानसभा क्षेत्र ग्रामीण-किसान वोटर राजनीतिक रूप से बहुत प्रखर होने के कारण चौक-चौराहे, गांव-पंचायत में नित्यदिन अपना चुनावी चौपाल लगा रहे है।

यादव बाहुल क्षेत्र होने के कारण दो बार से राजद विधायक डॉ रामानंद यादव का कब्जा बरकरार है। सीटिंग सीट होने के कारण इस बार भी डॉ रामानंद यादव की उम्मीदवारी सुनिश्चित दिखती है। इस क्षेत्र में राजद को चुनौती देने के लिए एनडीए खासकर भारतीय जनता पार्टी कार्यकर्ता विगत सालों से जी तोड़ मेहनत कर रही है। फतुहा क्षेत्र का 85 प्रतिशत किसानी भू भाग होने के कारण विभिन्न मंच- मोर्चा के साथ किसान मोर्चा संगठन काफी सक्रिय दिखाई पड़ता है। जिन्होंने 29 पंचायतों ,6 मंडलों में सरकार की विभिन्न लोक कल्याणकारी- लाभकारी योजनाओं को गांव-गांव घर-घर तक पहुंचाया है। जिसका परिणाम 17वीं लोकसभा पटना साहिब सांसद रविशंकर प्रसाद जी को 10992 वोट से जीत बढ़त दिलाई है।

सर्वे के अनुसार.चुनावी घमासान में 2020 एक दूसरे को चुनौती देने के लिए एनडीए में भाजपा, जदयू, लोजपा तीनों कार्यकर्ता अपनी-अपनी दावेदारी कर रहे हैं। लेकिन आम ग्रामीणों-किसानों का कहना है कि इस बार खेत खलिहान में भाजपा का भगवा लहराता देखना चाहते हैं। बातचीत करने पर किसान सुखदेव ने बताया कि केंद्र सरकार के विभिन्न योजना द्वारा किसानों के घर पहली बार खाता खुला,गैस चूल्हा, शौचालय, 6-6 हजार रुपया, 5 लाख का स्वास्थ्य बीमा, कोरोना काल में राशन- अनाज का वितरण हमलोग को बहुत मदद मिला इसलिए भाजपा पार्टी ठीक है।

चुनावी टक्कर आंकड़ा

2010 में भाजपा-जदयू गठबंधन में के टिकट पर अजय कुमार सिंह 40562 वोट मिले, रामानंद को 50218 वोट मिले,अजय सिंह को 9656 वोट से हार मिली। 2015 में भाजपा- लोजपा एनडीए गठबंधन में लोजपा के ई.,सत्येंद्र सिंह 46808 मिले, रामानंद यादव को77210 मिले, 30392 वोट से सतेंद्र सिंह पराजित हुए। स्थानीय ना होना, मुद्दे के मुख्य कारण बना। तब जदयू महागठबंधन में राजद के साथ था।

एनडीए के घटक भाजपा ,जदयू लोजपा अपनी-अपनी कर रहे हैं दावेदारी

2019 लोकसभा चुनाव में पटना साहिब के सांसद रविशंकर जी को 10992 वोट के अंतर से फतुहा विधानसभा क्षेत्र से बढ़त मिली। इस कारण 2020 विधानसभा में एनडीए के घटक भाजपा की दावेदारी मजबूती से की जा रही है। कार्यकर्ताओं में विश्वास-उत्साह बढ़ा। फतुहा निवासी गोपाल शर्मा ने बताया कि 1967 में आर सी प्रसाद भारतीय जनसंघ के टिकट जीते, 1972 में कामेश्वर पासवान भारतीय जनसंघ, 1977 में कामेश्वर पासवान जनता पार्टी, 2005 (फरबरी) सरयुग पासवान सुरक्षित भाजपा सहयोग जदयू ,2005 (अक्टूबर)सरजू पासवान सुरक्षित भाजपा सहयोग जदयू, 2009 (बाय पोल )अर्जुन मांझी भाजपा सहयोग जदयू,जीते। 2010 अजय सिंह जदयू के टिकट से हारे। 2015 इ.सत्येंद्र सिंह एलजेपी हार का मुंह देखना पड़ा।

इस बार गांव मजदूर, किसान में उत्साह देखने को मिल रहा है कि भाजपा को अगर मौका मिले तो वोट उसके पक्ष में करेंगे। आम ग्रामीण -किसान, कार्यकर्ता, मन बना चुके हैं कि उम्मीदवार ऐसा हो जो सामाजिक-राजनीतिक हर दृष्टि से सुख- दुख में कार्यकर्ता के भाव से खड़ा हो । ऐसा ही उम्मीदवार को हमलोग देखना चाहते हैं।

सर्वे के अनुसार चुनाव लड़ने वाले में जो उम्मीदवार का नाम प्रमुख रूप से चर्चा में है। उनमें भाजपा किसान मोर्चा प्रदेश उपाध्यक्ष, सह भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के सदस्य संजीव कुमार यादव जो राजनीतिक सामाजिक रूप से क्षेत्र में हमेशा सक्रिय दिखाई पड़ते हैं। प्रत्येक पंचायत में सालों भर जन समस्याओं की बात हो या सुख दुख में खड़े रहने की बात हो या सरकारी योजनाओं को घर-घर तक पहुंचाने की बात वे हमेशा सक्रिय रहते हैं।

कला संस्कृति प्रकोष्ठ के संयोजक वरुण सिंह लोजपा के पूर्व प्रत्याशी इं. सत्येंद्र सिंह। निर्दलीय उम्मीदवार जिला परिषद सदस्य सुधीर कुमार यादव। जदयू महासचिव निहोड़ा प्रसाद यादव, सत्येंद्र यादव, फतुहा नगर अध्यक्ष सतपाल सिंह ,राजद से दावेदारी करने वाले भाई संजय यादव जैसे और भी कई लोग उम्मीदवारी के लिए दावेदारी कर रहे हैं।

आम लोगों से बातचीत करने पर पता चलता है कि 2010 में जदयू को देखा 2015 में लोजपा को देखा अब लोग यहां भाजपा को देखना चाहते हैं। क्योंकि वर्तमान उम्मीदवार से बदलाव चाहते हैं। और भाजपा से उसी समाज से सशक्त उम्मीदवार हो। इस बार चुनावी संघर्ष में फतुहावासी उम्मीद भरी निगाह से नई उम्मीदवार का इंतजार कर रही ही।