पटना: राज्य के सभी जिलों में तालाब, मन, झील, पोखरे आदि जलकरों की सेटेलाइट मैपिंग का काम पूरा हो गया है। यह मैपिंग मानसून पूर्व की कराई गई है। मानसून के बाद अक्टूबर माह में पुनः सैटेलाइट जीआईएस मैपिंग कराई जाएगी।
आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक अब तक सिर्फ वैशाली, सहरसा और किशनगंज में मैपिंग का काम पूरा नहीं हो सका है। शेष जगह मैपिंग के परिणामों का ब्यौरा इकट्ठा किया गया है। इनका सारा डाटा बेस तैयार कर लिया जाएगा। रिमोट सेंसिंग के माध्यम से हुई इस मैपिंग के उत्साहवर्धक परिणाम सामने आए हैं।
35 जिलों में अब तक 79, 270 जलकरों का पता लगा है। ये जलकर 92,662 हेक्टेयर क्षेत्र में फैले हैं। सबसे अधिक जलकर मधुबनी जिले में हैं। वहां मैपिंग से 12,1 93 जल करों का पता लगा है। इसमें तालाब ,पोखर ,अन्य जल अधिग्रहण क्षेत्र एवं नदियों के अवशिष्ट भाग, गोखुर झील, हेचरी एवं सीड फार्म के जल क्षेत्र भी शामिल हैं। मधुबनी जिले में ही सबसे अधिक जलकर का भी क्षेत्र पाया गया है। वहां 6990. 34 के विशाल भूभाग में जलकरों का अस्तित्व बचा हुआ है।
गया जिला में 940 जलकर है लेकिन इसके कुल हेक्टेयर में फैलाव की गणना होनी बाकी है । पटना जिले में 1733 जलकर हैं जो 833. 83 हेक्टेयर क्षेत्र में फैले हैं। इसमें 1338 तलाब और पोखर हैं। ये तालाब 335 .02 हेक्टेयर में हैं। खास बात है कि पटना में भी हेचरी और सीड फॉर्म हैं। इनकी संख्या 23 है। दरभंगा जिले में भी 7233 जलकर का पता लगा है। ये 5036. 08 हेक्टेयर में फैले हैं।
मुजफ्फरपुर में अब तक 3844 जलकरों की शिनाख्त हुई है जो 3941 हेक्टर क्षेत्र में फैले हैं। इसी प्रकार पश्चिमी चंपारण में 4947 जलकर 3088. 59 हेक्टेयर में फैले हैं। भोजपुर में मात्र 562 जलकर हैं जो 933 .13 हेक्टेयर में फैले हैं। भागलपुर में 1355 जलकर हैं। उनका क्षेत्रफल 1983. 86 हेक्टर है। नालंदा जिले में 1423 जलकर 844. 63 हेक्टेयर में फैले है। पूर्णिया में 276 7 जलकर हैं जो 3473. 71 हेक्टेयर में है। सारण में 1381 जलकर हैं और उनका क्षेत्रफल 6920. 76 है। रोहतास में 1478 जलकरों का क्षेत्रफल 971 .35 है। इसी प्रकार बेगूसराय के 609 जलकरों का क्षेत्रफल 2857 है।
मानसून के बाद जब फिर मैपिंग होगी तो जलकरों के वास्तविक रकबे का पता लगेगा। साथ ही यहां होने वाले मछली उत्पादन का भी सही आंकड़ा हासिल किया जा सकेगा।