कृषि सुधार विधेयक: भला परदेशी मैडम और चांदी के चम्मच से खाने वाले क्या जानें खेती का हाल- जायसवाल
पटना: भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष डॉक्टर संजय जायसवाल ने कहा कि लोकसभा में पारित कृषि सुधार विधेयक किसानों को बिचौलियों से मुक्ति तो दिलाएगा ही साथ ही किसानों की आर्थिक उन्नति में अवरोधों से भी मुक्त कराएगा।
जायसवाल ने कहा कि विधयक के विरोध पक्ष में वही लोग हैं, जिनका कृषि से कभी वास्ता नहीं पड़ा। यूपीए सरकार के नीतियों पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि जिसका कभी खेत-खलिहान से वास्ता ही नहीं पड़ा वह क्या जाने खेतीबाड़ी का हाल और किसानों का दुख दर्द।
खेत, खलिहान और किसानों के हित में बीते छह वर्षों के भीतर एनडीए की सरकार ने जितने महत्तम कार्य किये यूपीए की सरकार नहीं कर पाई। अब यूपीए के दल पश्चाताप की खुन्नस विधेयक का विरोध कर निकाल रहे हैं।
जायसवाल ने कहा कि यूपीए की इसी किसान विरोधी का नतीजा रहा कि देश के अन्नदाताओं ने 2014 के चुनाव में कांग्रेस सहित यूपीए के तमाम घटक दलों को जड़ से उखाड़ा और 2019 के चुनाव में जड़ को ही समाप्त कर दिया।
संजय जायसवाल ने कहा कि भला परदेशी मैडम और चांदी के चम्मच से खाने वाले उनके राजकुमार और राजकुमारी क्या जाने खेती का हाल।
जायसवाल ने विरोधियों पर हमला करते हुए कहा कि चूंकि यह विधेयक किसानों को सशक्त बनाने और कृषि सुधार से किसानों को अपनी उपज को बेचने के लिए नये-नये अवसर देने वाला है, जिससे उनके मुनाफे में वृद्धि होगी इसलिए बिचौलिए समर्थक दलों में छटपटी मची है। किसानों की हकमारी कर चांदी काटने वाले बिचौलिए नहीं चाहते कि अन्नदाता सशक्त हों और आधुनिक तकनीक का लाभ उठा सकें।
डॉक्टर जायसवाल ने कहा कि साँच को आंच क्या। आंकड़े गवाह हैं कि यूपीए के राजपाट में किसानों का कितना शोषण व दोहन किया जाता था। सन 2009 से 2014 के बीच यूपीए के शासन में धान की खरीद मात्र 2.06 लाख करोड़ की हुई थी जबकि एनडीए के महज पांच वर्षों के भीतर यह आंकड़ा 4.95 करोड़ पहुंच गया अर्थात दुगुना से भी अधिक। इसी प्रकार गेंहू की खरीद यूपीए की सरकार मात्र 1.68 लाख करोड़ की ही कर पायी लेकिन एनडीए सरकार ने अपने पांच वर्ष के अल्प कार्यकाल में ऐसे 2.97 लाख करोड़ तक पहुंचा दिया। दलहन की खरीद का आंकड़ा तो और भी चौकाने वाला है। यूपीए के खाते में मात्र 645 करोड़ का ही दर्ज हुआ लेकिन एनडीए की सरकार ने इस फिगर को 49,000 करोड़ तक पहुंचा कर किसानों का हमदर्द बनी। रही बात तेलहन की तो यूपीए शासन में यह आंकड़ा 2460 करोड़ का था जिसे एनडीए की सरकार ने 25,000 करोड़ तक पहुंचाया।
देश के प्रधान सेवक नरेंद मोदी और यूपीए के मौनी बाबा रहे पीएम की कार्यप्रणाली साफ-साफ दिखती है। प्रधानमंत्री मोदी द्वारा किसानों के लिए धान में 2.4 गुना, गेहूं में 1.77 गुना और दलहन में 75 गुना न्यूनतम समर्थन मूल्य भुगतान के बढ़ाने से विपक्षी दलों के पैर से जमीन खिसकती नजर आ रही है। इसलिए उनमें बैचेनी का आलम है।
केंद सरकार द्वारा अधिक खरीद से किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य में वृद्धि हुई है। प्रधानमंत्री श्री मोदी ने पीएम किसान सम्मान निधि योजना, पीएम फसल बीमा योजना और पीएम कृषि सिंचाई योजना के जरिये किसानों को मजबूत स्थिति में ला खड़ा किया है। हे मेरे यूपीए के भाग्यविधाताओं अब भी चेतो नहीं तो वह दिन दूर नहीं जब देश के किसान तुमारा नेस्तनाबूद कर देंगे, तुम्हारा और तुम्हारे घटक दल का कोई नामलेवा तक नहीं बचेगा।