ज्योतिष विज्ञान की पृष्ठभूमि है- चन्द्रमौलि उपाध्याय

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पटना: प्रज्ञा प्रवाह की बिहार इकाई चिति द्वारा ज्योतिष शास्त्र की वैज्ञानिकता विषय पर व्याख्यान का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में वक्ता के रूप में काशी हिंदू विश्वविद्यालय के ज्योतिष शास्त्र विभाग के ज्योतिषाचार्य प्रोफेसर चन्द्रमौलि उपाध्याय थे।

इस मौके पर चन्द्रमौलि जी ने कहा कि आज 21 वीं सदी, जो कि आधुनिकता के आवरण से पूर्ण रूप से ढकी हुई है, वहां लोगों के लिए ज्योतिष विज्ञान को लेकर दो मत हैं या कह सकते हैं कि काफी विवाद है। एक तो वो लोग हैं जो धर्म, कर्म , ईश्वर और सृष्टि के बदलाव पर भरोसा रखते हैं, उनके लिए ज्योतिष विज्ञान बहुत ही गम्भीर विषय है। दूसरे वो लोग हैं जो इसे अवैज्ञानिक, पाखंड, ढोंग, अंधविश्वास या भ्रम की संज्ञा देते हैं।

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इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि वैदिककालीन विद्या, ज्योतिष विज्ञान को विश्व पटल के शिक्षण संस्थानों में उचित स्थान नही मिल पाया है। परंतु इतना विरोध होने के बावजूद ज्योतिष विज्ञान अपने अस्तित्व को बचाने में कामयाब रहा है। इस ओर भरोसा करने वालों की कमी नही है।

ज्योतिष विज्ञान को मानने वाले हजारों वर्षों से सच्ची अनुभूति के साथ इसकी रक्षा में जुटे हैं, वहीं कुछ लोग इन अनुभवों को कीचड़ समझ कर उसमें पत्थर फेंक कर बिखराव उतपन्न करने की नकारात्मक प्रवृत्ति का परिचय दे रहे हैं।

ज्योतिष-शास्त्रवेत्ताओं, दार्शनिक, समालोचकों का आज के वैज्ञानिक युग में परम कर्तव्य हो जाता है कि इस चीज को लोगों को अलग अलग कर के समझाए। यह एक तरीका है कि इस शास्त्र को विज्ञान के रूप में लोगों पर भरोसा बनाया जा सकता है।

आज गणित ज्योतिष को विज्ञान के रूप में बिना विरोधाभास के स्वीकार कर लिया गया है। क्यों कि किसी भी व्यक्ति के ग्रहों के राशि संचार, ग्रहों की युति, ग्रहण काल आदि की जानकारी को सेकेंड से मिनट तक के अवधि में निकाल लिया जाता है।
ज्योतिष विज्ञान की ही देन है कि सैकड़ो वर्ष बाद ब्रम्हाण्ड में होने वाली हलचल, सूर्यग्रहण या चंद्रग्रहण के तिथि और अवधि की सटीक जानकारी मिलती है।

अगर आज विश्वपटल पर वैज्ञानिक प्रयोग को देखे तो कृत्रिम उपग्रह को हर वक़्त छोड़ने की होड़ सी लगी है। उसके बाद जो उपग्रहों से संवाद स्थापित होता है या सूचनाएं एकत्र की जाती हैं उससे ये पता चलता है कि पूरे ब्रम्हांड में भचक्र, राशियों, नक्षत्रों और ग्रहों के अनंत प्रकार की किरणों का जाल फैला हुआ है।

ये सब ज्योतिष विज्ञान कि पृष्ठभूमि है। इसमें किसी भी तरीके से कोई संशय की बात नहीं हो सकती है। विरोधाभास में जीने वाले अबोध बालक के क्रिया कलाप तक को अस्वीकार कर देते हैं। तो यहां बात ज्योतिष विज्ञान के ऊंचाईयों की हो रही है।
अभी आगे भी ज्योतिषीय नियमों का व्यापक सर्वेक्षण और निरीक्षण अनिवार्य है, तभी जाकर ज्योतिष विज्ञान की महत्ता और बढ़ेगी।

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