चुनाव के संदर्भ में शीर्ष आदलत के फैसले का स्वागत करते हुए मंगल पांडेय ने साधा राजद पर निशाना
सम्मान देने की संस्कृति से दूर हुआ राजद, पुराने साथी ले रहे किनारा
पटना: बिहार विधान सभा चुनाव को लेकर सुप्रीम कोेर्ट के फैसले का स्वागत करते हुए स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने कहा कि कोर्ट के फैसले से विपक्ष के मोहरे को मुंहकी खानी पड़ी है। यही नहीं फैसले से महागठबंधन के महारथियों के मंसूबे पर भी पानी फिर गया है। कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने कोरोना काल में चुनाव कराने के चुनाव आयोग के निर्णय को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज कर साफ कहा है कि याचिका दाखिल करने का इरादा गलत ही नहीं, बल्कि संवैधानिक प्रक्रिया में खलल डालना है। कोर्ट चुनाव आयोग को निर्देश नहीं दे सकता। चुनाव आयोग को चुनाव कराने की आजादी प्राप्त है।
स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि चुनाव आयोग एक स्वतंत्र संस्था है। केंद्र और राज्य सरकारें उसके निर्देशों का अनुपालन करते हुए चुनाव के स्वतंत्र और निष्पक्ष मतदान की प्रक्रिया पूरी कराती है। चुनाव प्रक्रिया की बिहार में तैयारी भी चुनाव आयोग के निर्देश पर ही की जा रही है, लेकिन प्रतिपक्ष के नेता और विपक्षी दल इस पर हाय-तौबा मचाकर लोगों में भ्रम फैलाने की कोशिश कर रहे थे, जैसे बिहार सरकार अपने स्तर पर चुनाव कराने जा रही है। जबकि राज्य सरकार समय-समय पर लोगों के सामने सही स्थिति स्पष्ट करती आ रही है। अपनी स्थिति खराब देख खासकर नेता प्रतिपक्ष हमेशा से चुनाव आयोग के फैसले पर सवाल खड़ा कर चुनाव टालने की मांग करता आ रहे थे, लेकिन शीर्ष कोर्ट के फैसले ने ऐसे सियासी सूरमाओं की बोलती हमेशा के लिए बंद कर दी।
वहीं दूसरी ओर स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि नेता प्रतिपक्ष और राजद के रवैये से न सिर्फ राजद के सम्मानित और बुजुर्ग नेता दुखी हैं, बल्कि साथी दल भी पशोपेश में हैं। यह बात अलग है कि महागठबंधन में वाम दल जुड़ने की बात कर रहे हैं, लेकिन जब सीट शेयरिंग की बात आयेगी तो इनके भी राह जुदा होंगे। दरअसल बात यह है कि राजद को संवैधानिक संस्था हो या फिर उसके सहयोगी दल, किसी पर भरोसा नहीं है। उन्होंने कहा कि सच तो यह है कि राजद में सम्मान की संस्कृति समाप्त हो गयी है। यही कारण है कि एक-एक कर राजद के विधायक दल छोड़ रहे हैं। हाल यह है कि सम्मानित नेता और पार्टी स्तर के ओहदेदार को ‘एक लोटा पानी’ के बराबर आंककर उनकी तौहिनी की गयी। इससे न केवल उस नेता को ठेस पहुंची, बल्कि समाज भी आहत हुआ है।