चिराग को लेकर नीतीश कुमार के द्वारा खेला गया दांव उल्टा पड़ता दिख रहा है। इसलिए अब आगे यह देखना दिलचस्प होगा कि चिराग को काउंटर करने के लिए नीतीश कुमार इसबार किसे आगे करते हैं।
पटना: विधानसभा चुनाव की सरगर्मियों के बीच एनडीए के घटक दल लोजपा व जदयू के बीच रिश्ते काफी तल्ख़ होते जा रहे हैं। जदयू व नीतीश कुमार को राजनीतिक निशाने पर रखने वाले लोजपा सुप्रीमों चिराग पासवान बिहार की राजनीति में चर्चा का केंद्र बने हुए हैं। बीते दिन दिल्ली में लोजपा संसदीय दल की बैठक हुई थी।
बैठक में लोजपा नेता चिराग पासवान ने कहा कि जदयू का जो रवैया है उस अनुसार हमलोगों को किसी भी सूरत में नीतीश के नेतृत्व में चुनाव नहीं लड़ना चाहिए। इसके अलावा चिराग ने प्रदेश के नेताओं को 143 विधान सभा सीट पर प्रत्याशियों की सूची बनाने का निर्देश दिया है। बैठक में चिराग ने सबसे महत्वपूर्ण निर्देश देते हुए कहा कि लोजपा के कोई नेता बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी को लेकर बयान न दें, क्योंकि वे हमारे परिवार के वरिष्ठ सदस्य हैं, अभिभावक हैं, इसलिए कोई भी उनके ऊपर किसी प्रकार की टिप्पणी नहीं करेंगे।
चिराग के इस बयान के कई राजनीतिक मतलब निकाले जा रहे हैं। प्रथम दृष्टि से यह कहा जा रहा है कि चिराग ने मांझी को लेकर जो स्टैंड तय किये हैं. इसका मतलब यह है कि एनडीए में अगर नीतीश ड़ाल-डाल चल रहे हैं तो चिराग पात-पात। इसका मतलब यह है कि जबसे चिराग पासवान नीतीश के प्रति आक्रमक हुए हैं उसके बाद जदयू के तरफ से जवाब देना मुश्किल हो रहा था। इसलिए नीतीश ने दांव चलते हुए जीतन राम मांझी को एनडीए में शामिल करवाया।
एनडीए में शामिल होने के बाद जीतन राम मांझी ने नीतीश कुमार का पक्ष लेते हुए चिराग को लेकर आक्रमक हो रहे थे। इस बीच चिराग के नए दांव से मांझी लोजपा को लेकर मुखर होकर बोलने से बचेंगे। क्योंकि, जब चिराग की पार्टी के तरफ से मांझी को लेकर टिप्पणी नहीं की जायेगी तो नैतिकता के आधार पर मांझी भी लोजपा के खिलाफ टिप्पणी करने से बचेंगे।
वहीँ चिराग के बयान को लेकर दूसरा मतलब यह निकाला जा रहा है कि मांझी के NDA में आने के बाद सीटों को लेकर सबसे ज्यादा नुकसान लोजपा को हो हो रही है। इसलिए चिराग ने बयान देकर यह जताने का प्रयास कर रहे हैं कि मांझी के एनडीए में आ जाने के बाद उन्हें कोई नुकसान नहीं हो रहा अथवा मांझी का राजनीतिक वजूद लोजपा के सामने काफी कम है।
लिहाजा, आगे यह देखना दिलचस्प होगा कि जदयू के तरफ से चिराग को काउंटर करने के लिए नीतीश कुमार इसबार किसे आगे करते हैं।