प्रशांत भूषण मामले की तरह राहुल के झूठे बयानों का स्वत: संज्ञान ले सुप्रीम कोर्ट: संजय जायसवाल
पटना: पीएम केयर्स फंड पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को सत्य की जीत बताते हुए भाजपा प्रदेश अध्यक्ष डॉ संजय जायसवाल ने कहा कि पीएम केयर्स फंड के पक्ष में फैसला देकर सुप्रीम कोर्ट ने एक बार फिर से राहुल गाँधी के झूठ और दुष्प्रचार की राजनीति को पूरे देश के सामने बेनकाब कर दिया है।
दुनिया में किसी पार्टी में ऐसा नेता नहीं होगा जो इस कदर खुलेआम झूठ पर झूठ बोल कर अपनी और अपनी पार्टी की साख और इज्जत दोनों की इज्जत बार-बार मिट्टी में मिलाता हो। लेकिन राहुल को न तो अपनी प्रतिष्ठा की परवाह है और न ही अपनी पार्टी की।
याद करें तो राफेल मसले पर इसी तरह झूठ फैलाने के लिए इन्हें सुप्रीम कोर्ट से लताड़ भी पड़ चुकी है, लेकिन फिर भी इनकी झूठी राजनीति लगातार जारी है। वास्तव में कोर्ट को प्रशांत भूषण मामले की तरह राहुल के झूठे बयानों का भी स्वत: संज्ञान लेते हुए उचित कारवाई करनी चाहिए ताकि कोई दूसरा नेता झूठ की राजनीति करने से पहले सौ बार सोचे। लोकतंत्र में सीना ठोक कर झूठ बोलने वालों के लिए कोई जगह नहीं।
डॉ जायसवाल ने कहा कि अभी तक यह कई बार साबित हो गया है कि राहुल अनजाने में नहीं बल्कि जानबूझ कर झूठ बोलते हैं। पीएम केयर्स का ही उदहारण लें वास्तव में इन्हें असली दिक्कत यह है कि इसमें कांग्रेस अध्यक्ष को कोई जगह नहीं दी गयी है, जबकि इससे पहले के फंड्स में न केवल कांग्रेस का दबदबा रहता था, बल्कि उनसे इनके निजी ट्रस्ट राजीव गांधी फाउंडेशन को बतौर दान अच्छी-खासी रकम ट्रांसफर भी किये जाते थे।
यह पैसा उस समय दान किया गया, जब सोनिया गांधी पीएमएनआरएफ के बोर्ड में भी थीं और आरजीएफ की अध्यक्ष भी थीं। लेकिन पीएम केयर्स फंड में किसी पार्टी विशेष की जगह संवैधानिक पदों पर बैठे लोगों के हाथों में कमान देने से इस तरह की बन्दरबांट की संभावनाओं पर रोक लग चुकी है। राहुल चाह कर भी इस दुःख को किसी से साझा नहीं कर सकते, इसीलिए झूठ के सहारे वह इस फंड को ही कठघरे में खड़ा करने का प्रयास कर रहे हैं।
पीएम केयर्स फंड का हिसाब देते हुए भाजपा प्रदेश अध्यक्ष ने कहा “पीएम केयर्स फंड से अब तक कोरोना की लड़ाई में 3100 करोड़ रुपये की मदद की गई है. इनमें से 2 हजार करोड़ रुपये की लागत से 50 हजार वेंटिलेटरों की खरीद की गई है, जो आजादी के बाद सबसे बड़ी खरीद है. इसके अलावा प्रवासी मजदूरों की मदद के लिए एक हजार करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है तथा साथ ही 100 करोड़ रुपये वैक्सीन रिसर्च के लिए दिए गये हैं।