किस तरह से राजनैतिक विचारधारा का सार्वजनिक व्यय पर पड़ता है प्रभाव, जानें विशेषज्ञ का विचार
पटना: मंगलवार को अर्थशास्त्र विभाग, कॉलेज ऑफ कॉमर्स, आर्ट्स एंड साइंस, पटना द्वारा आयोजित व्याख्यान में सेंटर फॉर इकोनामिक स्टडीज एंड प्लैनिंग, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, नई दिल्ली की एम०फील० द्वितीय वर्ष की छात्रा और वाशिंगटन विश्वविद्यालय, सिएटल में अर्थशास्त्र विषय में पीएचडी के लिए दाखिल सुश्री अनन्या दिवाकांत ने अपने शोध विषय “क्या राजनैतिक विचारधारा का सार्वजनिक व्यय पर प्रभाव होता है? भारत के MPLADS का विश्लेषण” पर अपने विचारों को व्यक्त किया।
उन्होंने कहा कि राजनीति और अर्थशास्त्र का संबंध राजनैतिक वैज्ञानिकों और अर्थशास्त्रियों दोनों के लिए ही एक पेचीदा परंतु रोचक सवाल है। इस व्यापक विषय में विशेष रूप से यह जानने की भी कोशिश की गई है कि क्या राजनैतिक विचारधारा की वजह से लोक कल्याण पर महत्वपूर्ण अंतर आता है या नहीं। इसी संदर्भ को सुश्री अनन्या ने भारत के परिपेक्ष्य में जानने की कोशिश की है।
उन्होंने बताया कि आज प्रश्न यह है कि क्या लोक सभा सांसद अपनी राजनैतिक विचारधारा की वजह से मेंबर ऑफ पार्लियामेंट लोकल एरिया डेवलपमेंट स्कीम के तहत भिन्न रूप से खर्च करते हैं? उन्होंने अपने शोध विषय के निष्कर्ष में यह बताया कि औसतन दायें विंग सांसद दूसरों से कम खर्च करते हैं। इसके बहुत सारे तत्व हैं और अगर नियंत्रण भी किया जाए तो इस संदर्भ में यह महत्वपूर्ण नहीं है। उनकी अभिव्यक्ति साहित्य में पेश किए गए प्रमाण की पुष्टि करता है कि भारत में राजनीति पारंपरिक बायें विंग आयाम में नहीं होती।
प्रोफेसर डॉ० तपन कुमार शांडिल्य, प्रधानाचार्य, कॉलेज ऑफ कॉमर्स, आर्ट्स एंड साइंस, पटना ने अपने अध्यक्षीय भाषण में यह बताया कि लोकसभा और राज्यसभा सदस्य को स्थानीय क्षेत्र विकास योजना हेतु फंड प्रदान किया जाता इस योजना का मुख्य उद्देश्य विकासात्मक कार्यों हेतु धन मुहैया कराना या जिसकी सिफारिश संसद के सदस्यों द्वारा की जाती है। उन्होंने बताया कि वर्तमान समय में पूर्ण विश्व कोरोना महामारी की समस्या से जूझ रहा है, इसी कड़ी में भारत सरकार ने बड़ा कदम उठाते हुए सांसद स्थानीय क्षेत्र विकास फंडिंग पर 2 वर्षों तक रोक लगा दी है। जिसकी राशि का प्रयोग केंद्र सरकार कोरोना महामारी से निपटने के लिए करेगी।
प्रोफेसर डॉ० रश्मि अखौरी, अध्यक्ष, अर्थशास्त्र विभाग ने इस व्याख्यान का संचालन किया और बताया कि वर्तमान में हमें यह जानना जरूरी है कि सांसद स्थानीय क्षेत्र विकास योजना के अंतर्गत सार्वजनिक वस्तुओं पर सार्वजनिक व्यय का क्या औचित्य है? क्या यह सामाजिक विकास के संदर्भ में उचित है या नहीं? लोक कल्याण में राज्य के महत्वपूर्ण स्थान से संबंधित राजनैतिक विचारधारा की चर्चा की गई।
खुले सत्र में प्रोफेसर बैकुंठ राय, प्रोफेसर राकेश कुमार सिंह, प्रोफेसर अरविंद कुमार नाग, सौरभ, ऋषभ राज, अमित इत्यादि लोगों ने प्रश्न पूछे और इस व्याख्यान को मनोहर तथा ज्ञानवर्धक बना दिया। इस सभा की समाप्ति प्रोफेसर बैकुंठ राय, अर्थशास्त्र विभाग के धन्यवाद ज्ञापन से हुई। आज के व्याख्यान में अर्थशास्त्र विभाग के प्रोफेसर उमेश प्रसाद, डॉ० प्रवीण कुमार, प्रोफेसर के० एन० यादव, प्रोफेसर रमेश चौधरी, प्रोफेसर संजय कुमार पांडे, डॉ० बैकुंठ राय, प्रोफेसर विवेक कुमार, प्रोफेसर सलोनी, प्रोफेसर कीर्ति, प्रोफेसर सुनीता लाल, प्रोफेसर जय मंगल देव, प्रोफेसर इम्तियाज हसन, प्रोफेसर पद्मीनी प्रसाद, प्रोफेसर राकेश कुमार सिंह, प्रोफेसर अरविंद कुमार नाग और प्रोफेसर डॉ० संतोष कुमार, समन्वयक, आइ०क्यू०ए०सी०, कॉलेज ऑफ कॉमर्स, आर्ट्स एंड साइंस, पटना इत्यादि भी उपस्थित थे। अर्थशास्त्र विभाग के छात्र एवं छात्राओं के सहभागिता से इस व्याख्यान का सफलतापूर्वक समापन हुआ।