पटना: विधानसभा चुनाव नजदीक आते ही नेताओं ने दल बदलना प्रारंभ कर दिया है। इससे कड़ी में दल बदलने को लेकर जो जानकारी सामने आई है, उसमें जदयू नेता और बिहार सरकार के मंत्री श्याम रजक जदयू छोड़कर राजद में शामिल हो सकते हैं।
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक श्याम रजक सोमवार को पार्टी से इस्तीफा देने के बाद दोपहर 12 बजे विधानसभा जाकर विधानसभा अध्यक्ष को विधानसभा सदस्य से इस्तीफा सौपेंगे। श्याम रजक के इस फैसले के पीछे का कारण यह बताया जाता है कि वे पार्टी में अनदेखी से नाराज हैं। इसलिए वे ऐसा कर रहे हैं।
श्याम रजक का पार्टी बदलने का रिवाज कोई नया या पहली दफा नहीं है। इससे पहले भी वे वर्ष 2009 में राजद छोड़कर जदयू में शामिल हुए थे। इसके बाद नीतीश कुमार ने उन्हें 2010 में विधायक चुने जाने के बाद मंत्री बनाया था। इसके बाद 2015 में जब जदयू राजद के साथ गठबंधन किया था तो उस वर्ष यानी 2015 में श्याम रजक को मंत्री नहीं बनाया गया था। इसके पीछे यह कारण बताया जाता है कि लालू यादव पार्टी बदलने को लेकर रजक से निराश थे। क्योंकि लालू श्याम रजक को काफी मानते थे। लेकिन, रजक ने लालू को धोखा देते हुए जदयू में शामिल हो गए थे! इसी अपमान का बदला लेने के लिए लालू ने 2015 में उन्हें मंत्री नहीं बनाया था!
क्षेत्रीय राजनीति में जाति को लेकर प्रमुखता से राजनीति होने के कारण श्याम रजक दलित चेहरे के रूप में क्षेत्रीय पार्टियों के लिए स्वीकार्य नेता हैं। इसलिए एक बार पुनः श्याम रजक नीतीश कुमार को छोड़कर लालू यादव के घर जा रहे हैं। बताया जाता है कि श्याम रजक को राजद में शामिल होने की पूरी तैयारी कर ली गई है।
हालांकि इसको लेकर राजद के अंदर विरोध होना शुरू हो गया है। राजद के एक नेता हैं सत्येंद्र पासवान, जो कि राजद के महासचिव हैं। श्याम रजक को लेकर उनका कहना है कि 2009 में, राजद छोड़कर जद(यू ) में शामिल होते ही श्याम रजक ने कहा था कि लालू यादव में हिम्मत है तो पटना के गांधी मैदान में लंगोटा बांधकर फरिया लें।
पासवान ने आलाकमान से कहा कि इन बातों पर लालू यादव, राबड़ी देवी व तेजस्वी यादव ध्यान दें। यदि राजद में शामिल हो भी जाये, तो श्याम रजक को फुलवारी क्षेत्र से चुनाव न लड़ाया जाये और थोड़ा सबक भी मिलना जरूरी है। ताकि फुलवारी में समर्पित कार्यकर्ताओं की प्रतिष्ठा बची रहे।