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तेजस्वी का नीतीश सरकार पर आरोप, कहा- अब पछताय होत क्या जब चिड़िया चुग गई खेत

पटना: तेजस्वी यादव ने बिहार सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि कोरोना का संक्रमण बहुत तेजी से फ़ैल रहा और स्थिति वाकई चिंताजनक है। जिस प्रकार नीतीश जी का “कानून अपना काम करता है ” उसी राह पर “कोरोना भी अपना काम कर रहा है ” कल कोरोना कुल मरीजों की संख्या एक लाख और मृत्यु की संख्या 500 हो जाएगी। वर्तमान डॉबलिंग रेट के अनुसार इस महीने के आखिर तक दो लाख मरीज हो जायेंगे। नीतीश जी के शब्दों में अगर कहें तो कोरोना न किसी को बचाता है और न ही किसी को फंसाता है। लाख गोल-माल, झोल-झाल के बावजूद कोरोना संक्रमण की सच्चाई छुप नहीं पा रही और इसी वजह से नीतीश जी सदमें में हैं।

नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि अब अगर तथ्यों की बात करें तो मैंने मंगल पांडेय जी के वक्तव्य को ही दोहराया है और इसके प्रमाण के लिए मैं उनके ही विभाग द्वारा जारी 2 अगस्त की कोविड बुलेटिन आपके समक्ष पेश कर रहा हूँ, 2 अगस्त 2020 तक कुल 6,12,415 जाँच हुए थे। जिसमें RT -PCR जाँच 3,24,000 हुए जो कि 52.9 % हुआ, उसी प्रकार 1,10,000 TrueNat जाँच हुए जो कि 17. 9 % हुआ और 1,78,000 एंटीजन टेस्ट हुए जो कि 29 % हुआ। अब आप ही बताईये मैंने क्या गलत बोला, फैक्ट को as it is यथावत रखने से कौन सा भ्रम पैदा हुआ ?

तेजस्वी ने कहा कि नीतीश जी ने 11 अगस्त को प्रधानमत्री जी से 6100 RT -PCR टेस्ट होने की बात कही थी और उन्होंने संभवतः 10 अगस्त का ही आंकड़ा बताया होगा। उस दिन के बुलेटिन के अनुसार 75346 जाँच हुए थे जो कि मात्र 8 प्रतिशत हुआ। अब आप बताएं मैंने कौन सा गलत तथ्य पेश किया ? कल प्रेस कांफ्रेंस में स्वास्थ्य मंत्री जी खुद मान रहें की बिहार की RT -PCR और TrueNat मिलाकर जाँच क्षमता मात्र साढ़े दस हजार (10500) की है। आप खुद तय करें कौन भ्रम फ़ैलाने का काम कर रहा।

तेजस्वी ने बोला कि मैं आज फिर उनसे पूछना चाहता हूँ जिस COVAS -8800 की खरीद की बात आप कर रहें, उसकी खरीद 5 महीने हो गए अभी तक क्यों नहीं की गयी ? 24 जून को परचेज आर्डर (PO) को क्यों कैंसिल करना पड़ा ? हेल्थ इमरजेंसी में तत्परता दिखानी चाहिए तो आप और आपके मुख्यमंत्री बंगले में बंद हैं। आखिर संक्रमण का फैलाव क्यों नहीं रुक रहा ? आखिर अभी तक पर्याप्त oxygen concentrator और ventilator की खरीद क्यों नहीं की गयी ? आपलोगों का जो धीमा approach है, हर मोड़ पर यही कहना पड़ेगा की “अब पछताय होत क्या जब चिड़िया चुग गयी खेत ”