पटना: बिहार में कोरोना की स्थिति काफी बदतर है। प्रदेश में कोरोना संक्रमितों की संख्या 41,111 है। इस बीच नीतीश कुमार ने बड़ा फैसला लेते हुए स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव उदय सिंह कुमावत को हटाकर ऊर्जा विभाग के प्रधान सचिव प्रत्यय अमृत को स्वास्थ्य विभाग का प्रधान सचिव बनाया है। सरकार ने कोरोना संकट के दौरान दूसरी बार स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव का तबादला की है।
प्रत्यय अमृत के बारे में बताया जाता है कि वे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के भरोसेमंद अधिकारियों में से एक हैं। सरकार चलाने वाले तमाम प्रभावी अधिकारियों में से एक हैं।
इसके साथ ही यह भी जानकारी मिल रही है कि जल संसाधन विभाग के प्रधान सचिव संजीव हंस को ऊर्जा विभाग के प्रधान सचिव की अतिरिक्त जिम्मेवारी दी गई है।
इन कारणों से हटाए गए उदय सिंह कुमावत
कोरोना से लड़ाई में केंद्र सरकार का साफ कहना था कि कोरोना से निपटने के लिए बिहार मॉडल काफी नहीं है। सरकार की इससे निपटने के लिए तौर-तरीके बदलने होंगे। जांच बढ़ानी होगी, तभी बिहार में कम्युनिटी ट्रांसफर से रोक सकते हैं।
जांच में सबसे फिसड्डी है बिहार
बता दें कि देश भर में इन दिनों टेस्ट की संख्या लगातार बढ़ाई जा रही है। भारत में हर 10 लाख की आबादी पर 12,222 टेस्ट हो रहे हैं। जबकि राज्यों की बात करें तो इस लिस्ट में टॉप पर आंध्र प्रदेश और बिहार सबसे नीचे। आंध्र प्रदेश में 10 लाख की आबादी पर 30,556 टेस्ट हो रहे हैं वहीं बिहार में 10 लाख की आबादी पर 3,699 टेस्ट हो रहे हैं। जबकि बिहार के पड़ोसी राज्य झारखंड में 6775 और उत्तर प्रदेश में 7834 तथा बंगाल में 8143 टेस्ट हो रहे हैं।
मंत्री की नहीं सुनते थे प्रधान सचिव
विभिन्न जगहों से इस तरह के सुझाव आने के बाद बिहार सरकार के मुखिया 21 दिनों बाद 25 जुलाई को कैबिनेट की मीटिंग में स्वास्थ्य विभाग को निर्देश देते हैं कि जल्द से जल्द सूबे में 20 हजार प्रतिदिन कोरोना की जांच करवाएं। इससे बीच बैठक में स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव की शिकायत करते हुए कहते हैं कि सचिव (उदय सिंह कुमावत) हमारी बात नहीं सुनते हैं।
मुख्यमंत्री ने लगाई थी फटकार
स्वास्थ्य मंत्री की बात सुनते ही सीएम नीतीश गुस्सा हो जाते हैं और मीटिंग में ही उदय सिंह कुमावत को फटकार लागते हुए कहते हैं कि अगर आपसे काम नहीं हो रहा है तो आप छोड़ दीजिये। आपके कारण मेरे द्वारा किये गए 14 साल के कार्यों पर लोग सवाल उठा रहे हैं। इसलिए यथाशीघ्र जांच बढवाईये और स्वास्थ्य व्यवस्था को सुदृढ कीजिये। अन्यथा फैसला लेना के लिए हम स्वतंत्र हैं।
फटकार का नतीजा दिखा और प्रदेश में कोरोना नमूनों की जांच की संख्या 10 हजार से बढ़कर 14 हजार के पार हुई है और संक्रमितों की संख्या में भी इजाफा हुआ। मतलब जांच बढ़ते ही ज्यादा मामले आने शुरू। हालांकि प्रदेश का रिकवरी रेट 67.60 है।
आई एम ए ने भी किया था हटाने का अनुरोध
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को पत्र लिखकर एक मांग की है। IMA का कहना है कि वर्तमान में बिहार के सभी मेडिकल कॉलेज के प्राचार्यों एवं अधीक्षकों द्वारा इस कोरोना काल में अभूतपूर्व एवं सराहनीय कार्य किया जा रहा है। लेकिन, स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव उदय सिंह कुमावत का व्यवहार चिकित्सकों के प्रति उदासीन है एवं उनके द्वारा लिए गए निर्णयों के कारण चिकित्सकों में रोष की भावना उत्पन्न हो रही है। इसलिए IMA बिहार आपसे अनुरोध करता है कि इनके स्थान पर पूर्व प्रधान सचिव संजय कुमार को पदस्थापित किया जाय। लेकिन, सरकार ने संजय कुमार की जगह प्रत्यय अमृत को प्रधान सचिव नियुक्त किया है।
प्रत्यय अमृत नीतीश सरकार के भरोसेमंद अफसर माने जाते हैं, हाल के वर्षों में कई बार कठिन परिस्थितियों में उन्हें मोर्चे पर लगाया गया है। लेकिन, इस कोरोनाकाल में बिहार के स्वास्थ्य सचिव की कुर्सी कांटों का ताज बना हुआ है, क्योंकि स्वास्थ्य सचिव के परफॉर्मेंस पर मीडिया के साथ-साथ केंद्रीय टीम की भी नजर है। इस बदलाव के पीछे केंद्रीय टीम की नाराजगी भी एक कारण है। बिहार शायद देश का एकमात्र राज्य है जहां कोरोनाकाल के दौरान दो स्वास्थ्य सचिव नपे हैं।