तो क्या नप सकते हैं स्वास्थ्य विभाग के सचिव!
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को पत्र लिखकर स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव उदय सिंह कुमावत को हटाने की मांग की है।
पटना : बिहार में कोरोना की स्थिति काफी बदतर है। प्रदेश में सोमवार को एकसाथ 2192 नए मामले सामने आये हैं। इसके साथ ही बिहार में कोरोना संक्रमितों की संख्या 41,111 हो चुकी है। वहीं इलाज के बाद 26,308 मरीज ठीक हो चुके हैं।
इस बीच बिहार में कोरोना के बढ़ते मामलों को लेकर बिहार सरकार की दलील है कि हमलोग कोरोना संकट से निपटने में लगातार सही कदम उठा रहे हैं। लेकिन, केंद्र सरकार तथा अन्य कई स्वास्थ्य संगठन /समितियां बिहार सरकार के इस दावे से इत्तेफाक नहीं रखती है।
केंद्र सरकार की आपत्ति
इस मसले पर तो केंद्र सरकार का साफ कहना है कि कोरोना से निपटने के लिए बिहार मॉडल काफी नहीं है। सरकार की इससे निपटने के लिए तौर-तरीके बदलने होंगे। वहीं इंडियन मेडिकल एसोसिएशन का कहना है कि बिहार में कोरोना का कम्युनिटी ट्रांसफर होना शुरू हो गया है। इसलिए जितनी जल्दी संभव हो सरकार को बेझिझक कुछ अत्यंत महत्वपूर्ण कदम उठाने होंगे। अन्यथा बिहार की स्थिति खराब हो सकती है।
जांच में सबसे फिसड्डी है बिहार
बता दें कि देश भर में इन दिनों टेस्ट की संख्या लगातार बढ़ाई जा रही है। भारत में हर 10 लाख की आबादी पर 12,222 टेस्ट हो रहे हैं। जबकि राज्यों की बात करें तो इस लिस्ट में टॉप पर आंध्र प्रदेश और बिहार सबसे नीचे। आंध्र प्रदेश में 10 लाख की आबादी पर 30,556 टेस्ट हो रहे हैं वहीं बिहार में 10 लाख की आबादी पर 3,699 टेस्ट हो रहे हैं। जबकि बिहार के पड़ोसी राज्य झारखंड में 6775 और उत्तर प्रदेश में 7834 तथा बंगाल में 8143 टेस्ट हो रहे हैं।
मंत्री का भी नहीं सुनते हैं प्रधान सचिव
विभिन्न जगहों से इस तरह के सुझाव आने के बाद बिहार सरकार के मुखिया 21 दिनों बाद 25 जुलाई को कैबिनेट की मीटिंग में स्वास्थ्य विभाग को निर्देश देते हैं कि जल्द से जल्द सूबे में 20 हजार प्रतिदिन कोरोना की जांच करवाएं। इससे बीच बैठक में स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव की शिकायत करते हुए कहते हैं कि सचिव (उदय सिंह कुमावत) हमारी बात नहीं सुनते हैं।
जब मुख्यमंत्री ने लगाई फटकार
स्वास्थ्य मंत्री की बात सुनते ही सीएम नीतीश गुस्सा हो जाते हैं और मीटिंग में ही उदय सिंह कुमावत को फटकार लागते हुए कहते हैं कि अगर आपसे काम नहीं हो रहा है तो आप छोड़ दीजिये। आपके कारण मेरे द्वारा किये गए 14 साल के कार्यों पर लोग सवाल उठा रहे हैं। इसलिए यथाशीघ्र जांच बढवाईये और स्वास्थ्य व्यवस्था को सुदृढ कीजिये। अन्यथा फैसला लेना के लिए हम स्वतंत्र हैं।
फटकार का नतीजा दिखा और प्रदेश में कोरोना नमूनों की जांच की संख्या 10 हजार से बढ़कर 14 हजार के पार हुई है और संक्रमितों की संख्या में भी इजाफा हुआ। मतलब जांच बढ़ते ही ज्यादा मामले आने शुरू। हालांकि प्रदेश का रिकवरी रेट 67.60 है।
आई एम ए ने किया हटाने का अनुरोध
ताजा मामला भी उदय सिंह कुमावत से ही जुड़ा है। इस बार इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को पत्र लिखकर एक मांग की है। IMA का कहना है कि वर्तमान में बिहार के सभी मेडिकल कॉलेज के प्राचार्यों एवं अधीक्षकों द्वारा इस कोरोना काल में अभूतपूर्व एवं सराहनीय कार्य किया जा रहा है। लेकिन, स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव उदय सिंह कुमावत का व्यवहार चिकित्सकों के प्रति उदासीन है एवं उनके द्वारा लिए गए निर्णयों के कारण चिकित्सकों में रोष की भावना उत्पन्न हो रही है। इसलिए IMA बिहार आपसे अनुरोध करता है कि इनके स्थान पर पूर्व प्रधान सचिव संजय कुमार को पदस्थापित किया जाय।
जिलाधिकारी का करें तबादला
इसके साथ ही आई एम ए ने भोजपुर व गोपालगंज के जिलाधिकारी को स्थानांतरित करने के अनुरोध बिहार सरकार से किया है। जिलाधिकारी के संबंध में उनका कहना है कि इन दोनों का व्यवहार चिकित्सक विरोधी है।
खैर, अब देखना यह होगा कि IMA की सलाह पर चुनावी समय में मुख्यमंत्री स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव को हटाते हैं या नहीं। वैसे पूर्व में नीतीश कुमार भी कार्रवाई का संकेत दे चुके हैं। अगर ऐसे समय प्रधान सचिव पर कार्रवाई होती है तो सरकार पर ये सवाल तो नहीं ही उठेंगे कि बीच युद्ध में सेनानायक को क्यों बदला?