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कर संग्रह की कमी के बावजूद बिहार सरकार कोरोना वॉरियर्स को प्रोत्साहन भत्ता देगी

पटना: वर्ष 2020-21 की प्रथम अनुपूरक व्यय विवरणी 22,777.32 करोड़ को सदन में उपस्थापित करते हुए उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा कि अप्रैल में बिहार सरकार ने कोरोना का मुकाबला करने वाले चिकित्सकों व स्वास्थ्य कर्मियों को एक माह के मूल वेतन के समतुल्य प्रोत्साहन भत्ता देने का निर्णय लिया। इसमें संविदाकर्मी भी शामिल हैं। तमाम परेशानियों के बावजूद राज्य सरकार ने 252.54 करोड़ रुपये का संकल्प जारी कर दिया है।

आंध्रप्रदेश, तेलंगना, ओडिशा, राजस्थान, महाराष्ट्र व केरल जैसे तथाकथित बिहार से अधिक विकसित राज्यों ने जहां कोविड-19 संकट के दौरान अपने कर्मचारियों के वेतन व पेंशन में 30 से 50 प्रतिशत तक की कटौती कर ली, वहीं बिहार ने कर्मचारियों के वेतन, पेंशन में बिना किसी प्रकार की कटौती किए 31 जुलाई तक 10,732.88 करोड़ वेतन पर, 6168.07 करोड़ पेंशन पर, 2959.04 करोड़ ब्याज के भुगतान व 1816.05 करोड़ ऋण की अदायगी सहित कुल 21,676.94 करोड़ व्यय किया है।

2020-21 में अप्रैल से जुलाई तक पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में कुल मिला कर 33.61 प्रतिशत की कमी रही। 2019 के अप्रैल से जुलाई तक 11,171.20 करोड़ का जहां संग्रह हुआ था वहीं 2020 के अप्रैल से जुलाई तक 7,416.57 करोड़ का संग्रह हुआ जो पिछले साल की इसी अवधि की तुलना में 3754 करोड़ कम है।

राज्य सरकार ने पिछले 4 महीने में 4,989 करोड़ का ऋण लिया है। राज्य सकल घरेलु उत्पाद का 3 प्रतिशत नेट ऋण लेने के प्रावधान के तहत केन्द्र ने 19,384 करोड़ रुपये ऋण की उगाही की अनुमति दी थी। पिछले दिनों केन्द्र सरकार ने प्वाइंट 5 प्रतिशत अतिरक्ति ऋण लेने की अनुमति प्रदान की जिसके तहत 3,230.5. करोड़ और ऋण लिया जा सकेगा, मगर बिहार सरकार ने और प्वाइंट 5 प्रतिशत यानी 3,230 करोड़ ऋण की उगाही की अनुमति देने का आग्रह किया है।

अभी तक केन्द्र और बिहार दोनों ने मिल कर कोविड-19 से मुकाबले के लिए 25 हजार करोड़ से ज्यादा के खाद्यान्न व नगद राशि बिहार के लोगों को बांटा है। अकेले बिहार ने 8,538.62 करोड़ नगद सहायता वितरण मद में खर्च किया है।