गरीब कल्याण रोजगार अभियान के तहत प्रवासी श्रमिकों को 1800 करोड़ का रोजगार देगा रेलवे
कोरोना संकट से निपटने हेतु देशव्यापी लॉकडाउन लगाया गया था। इसके कारण उद्योग-धंधे को काफी नुकसान उठाना पड़ा तथा अनिश्चितकालीन समय के लिए बहुत से फैक्ट्री अथवा उत्पादन यूनिट बंद हो गए। इन मुश्किल परिस्थितियों से निपटने के लिए मोदी सरकार ने 20 लाख करोड़ के आर्थिक पैकेज का एलान किया। साथ ही मोदी सरकार ने गावों में रोजगार देने के लिए गरीब कल्याण रोजगार अभियान की शुरुआत की। इसके तहत देश के 6 राज्यों के 116 जिलों में 125 दिनों तक प्रवासी श्रमिकों के लिए मिशन मोड में काम चलाया जाएगा।
प्रवासी श्रमिकों को व्यापक स्तर पर रोजगार देने के लिए रेल मंत्री पीयूष गोयल ने वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से क्षेत्रीय रेलवे कार्यालयों और रेलवे पीएसयू के साथ बैठक कर गरीब कल्याण रोजगार अभियान की प्रगति की समीक्षा की है।
बैठक में रेलवे बोर्ड के चेयरमैन ने क्षेत्रीय रेलवे को हर जिले के साथ ही राज्यों में नोडल अधिकारियों की नियुक्ति करने के निर्देश दिए। साथ ही उन्होंने क्षेत्रीय स्तर के रेलवे प्रशासन को परियोजनाओं से प्रवासी श्रमिकों को सक्रिय रूप से जोड़कर काम करने और भुगतान करने के निर्देश दिए।
125 दिन के इस अभियान में एक मिशन के रूप में काम किया जाएगा, जिसमें 6 राज्यों बिहार, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान, झारखंड और ओडिशा 116 जिलों में घर लौटने वाले प्रवासी कामगारों को ध्यान में रखते हुए 25 श्रेणियों के गतिविधियों के कार्यान्वयन पर जोर दिया जाएगा।
इसके तहत लगभग 160 बुनियादी ढांचागत कार्यों की पहचान की गई है, जिनमें तेजी लाई जानी है। इनसे हजारों कामगार जुड़ेंगे और अनुमानित तौर पर अक्टूबर, 2020 तक इनसे 8 लाख मानव दिवस रोजगार पैदा होंगे। इन 116 जिलों में लगभग 1,800 करोड़ रुपये व्यय किए जाएंगे।
रेलवे ने कहा कि ऐसे काम जो मनरेगा के माध्यम से पूरा कराया जा सकता है। ये कार्य लेवल क्रॉसिंग के लिए संपर्क मार्गों के निर्माण एवं रखरखाव, रेल पटरियों से सटे अवरुद्ध जलमार्गों, खाइयों और नालियों के विकास और उनकी सफाई, रेलवे स्टेशनों को जाने वाले संपर्क मार्ग का निर्माण तथा रखरखाव, मौजूदा रेलवे तटबंधों की मरम्मत और चौड़ीकरण, रेलवे की भूमि पर बड़ी सीमाओं पर वृक्ष लगवाना इत्यादी शामिल है।