पटना: विधानसभा कोटे से विधान परिषद के लिए खाली हो रहे 9 सीटों के लिए 6 जुलाई को चुनाव होना है। संख्याबल के अनुसार 9 सीटों में से राजद व जदयू को 3,3 तथा भाजपा को 2 तथा 1 सीट पर जीत मिलेगी। भाजपा ने 2 सीटों के लिए संजय मयूख और सम्राट चौधरी को उम्मीदवार घोषित की है।
संजय मयूख और सम्राट चौधरी के नामों का एलान होते ही भाजपा के वरिष्ठ नेता व पूर्व एमएलसी कृष्ण कुमार सिंह उर्फ कुमार साहब ने भाजपा की प्राथमिक सदस्यता के साथ-साथ कैलाशपति मिश्र न्यास समिति के सचिव पद से भी इस्तीफा दे दिया है। वर्तमान में वे भाजपा कार्यसमिति के सदस्य तथा विधानसभा के प्रभारी थे।
अपने इस्तीफे के बारे में बात करते हुए कृष्ण कुमार सिंह ने कहा कि मुझे उम्मीद थी कि पार्टी एक बार फिर से विधान परिषद भेज सकती है। लेकिन, पार्टी ने उनकी वरीयता को नजरअंदाज करते हुए कुशवाहा समाज से आने वाले सम्राट चौधरी को परिषद के लिए दूसरा उम्मीदवार बना दिया।
सम्राट चौधरी को उम्मीदवार बनाए जाने को लेकर कुमार साहब खासे नाराज हैं। उनका कहना है कि भाजपा का यह संस्कार नहीं था कि 8 दिन पहले पार्टी में शामिल होने वालों को सदन भेज दे। भाजपा पर आरोप लगाते हुए कहा कि अब पार्टी में संगठन तथा पुराने कार्यकर्ताओं को महत्व नहीं दिया जाता है। पार्टी को लगता है कि अब उनकी आवश्यकता नहीं है।
कृष्ण कुमार सिंह आगे कहते हैं कि जहां चुनाव राजनीति के बदौलत होती है वहां जाति के बीच सामंजस्य बैठाना पड़ता है। इसलिए मुझे उम्मीद थी कि संजय मयूख (जो कि पार्टी के पुराने सिपाही हैं) तथा मुझे उम्मीदवार बना सकती है। लेकिन, जिस जाति से मैं ताल्लुक रखता हूँ उस जाति (भूमिहार) से किसी को भी उम्मीदवार नहीं बनाया गया। पूरे एनडीए में किसी भी भूमिहार को एमएलसी के लिए उम्मीदवार नहीं बनाया गया।
कुमार साहब के इस्तीफे के बाद एक बार फिर भाजपा पर भूमिहारों को अनदेखी का आरोप लगना शुरू हो गया है। भाजपा के शुरुआती दिनों से कैडर वोट के तौर पर मजबूत व कमजोर परिस्थिति में पार्टी को मजबूती से साथ देने वाला समाज पार्टी के ऊपर अनदेखी का आरोप लगा रही है। अब आगे देखना दिलचस्प होगा कि पार्टी इस नाराजगी को दूर करने के लिए कौन सा नया दांव खेलती है।