बाढ़ के मुहाने पर मुजफ्फरपुर

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मुजफ्फरपुर: मॉनसून की पहली दस्तक में ही मुजफ्फरपुर बाढ़ के मुहाने पर आ गया है। उफनती गंडक, बागमती की विकरालता से जिला प्रशासन सकते में है। 19 जून को समाहरणालय स्थित सभाकक्ष में मुजफ्फरपुर के डीएम डॉ. चंद्रशेखर सिंह ने बाढ़ पूर्व तैयारी को लेकर विभिन्न विभागों के साथ समीक्षात्मक बैठक की तो जो हकीकत उभर कर सामने आया, उससे स्थिति की भयावहता का सहज अंदाजा लगाया जा सकता है। तटबंध के अंदर के गांवों में तबाही शुरू ही गई है। पीपा व चचरी पुलों पर जहां खतरा बढ़ गया है, वहीं बांध के अंदर के गांवों में पानी भरने से लोग दहशत में है।

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मुख्य रूप से जिले के बाढ़ प्रवण प्रखंडों विशेषकर औराई, कटरा और गायघाट में बाढ़ का खतरा काफी बढ़ गया है। बाढ़ प्रवण प्रखंडों में नाव की उपलब्धता तटबंधों की स्थिति, जल स्तर एवं वर्षापात की स्थिति, मानव एवं पशु दवाओं की उपलब्धता ,कटाव रोधी कार्य इत्यादि की समीक्षा की गई। कई खामियों को दूर करने और सभी निरिधात्मक व बचाव कार्यों को समय रहते पूरा करने का जिलाधिकारी की ओर से निर्देश दिया गया।

बैठक में बागमती प्रमंडल के कार्यपालक अभियंता द्वारा बताया गया कि बागमती नदी में बढ़े हुए जलस्तर के कारण तटबंध के अंदर के गांव और पंचायत प्रभावित हो रहे हैं। मुख्य रूप से उनका सड़क संपर्क टूट रहा है। औराई में हालात स्थिर और नियंत्रण में है।

मगर अतरार घाट पर चचरी पुल पर दबाव को देखते हुए अनुमंडल पदाधिकारी पूर्वी को निर्देशित किया गया कि वे जल संसाधन के टीम के साथ जाकर हालात का जायजा लें और देखें कि यदि चचरी पुल असुरक्षित है तो तत्काल उसपर आवागमन बंद कराना सुनिश्चित करें। वहीं कटरा प्रखंड के बाँसघट्टा में चचरी पुल पर दबाव तथा चामुंडा स्थान पर पीपा पुल पर दबाव की बात सामने आई है। इसे देखते हुए अनुमंडल अधिकारी पूर्वी एवं जल संसाधन विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिया गया कि वह जाकर तत्काल उसका निरीक्षण कर प्रतिवेदेन उपलब्ध कराएं। उक्त सभी जगहों पर आवश्यकता अनुसार नाव भी उपलब्ध कराए जाएंगे।

वहीं गायघाट की स्थिति अभी नियंत्रण में है। गायघाट के भटगावां,जगनिया ,हरपुर आदि जगहों पर कटाव के कारण ग्रामीणों में दहशत है। वहां के लिए भी जिला स्तर से प्रशासनिक पदाधिकारियों और तकनीकी पदाधिकारियों की टीम जाकर हालात का जायजा लेगी, इस आशय का भी निर्देश जिलाधिकारी के द्वारा दिया गया।

बैठक में बताया गया कि संभावित बाढ़ को देखते हुए प्रशासनिक स्तर पर विभिन्न विभागों द्वारा मुकम्मल तैयारियां की गई हैं ।सरकारी नावें भी उपलब्ध हैं साथ ही निजी नावों से भी इकरारनामा किया जा रहा है। जहां आवागमन की असुविधा पाई जाएगी वहां नाव उपलब्ध कराई जायेगी, परंतु चचरीऔर पीपा पुल के माध्यम से असुरक्षित आवागमन पर संभावित खतरे को देखते हुए रोक लगाई जाएगी। इस संबंध में वस्तु स्थिति से अवगत होने एवं तदनुसार उक्त आलोक में करवाई करने हेतु अनुमंडल पदाधिकारी पूर्वी को निर्देशित किया गया है। सुलिस गेट पर भी लगातार नजर रखी जा रही है।

बूढ़ी गंडक नदी से संबंधित 90 सुलिस गेट में से 11 अप्रासंगिक हैं। शेष सभी सुलिस गेट की मरम्मती करा दी गई है साथ ही सुरक्षात्मक उपायों के मद्देनजर लगभग 70 सुलिस गेटों के पास 500 -500 बालू भरे बोरे भी रखवाए गए हैं।

स्वास्थ्य विभाग द्वारा दावा किया गया कि संभावित बाढ़ को देखते हुए पर्याप्त मात्रा में दवा की उपलब्धता सुनिश्चित कर दी गई है और स्वास्थ्य विभाग आने वाले किसी भी परिस्थितियों का सामना करने हो तैयार है।

इस दौरान जिलाधिकारी ने बाढ़ पूर्व किए गए तैयारियों की समीक्षा करने के साथ ही सभी अधिकारियों को अलर्ट मोड में रहने का निर्देश भी दिया। अपर समाहर्ता आपदा अतुल कुमार वर्मा ने संभावित बाढ़ 2020 को लेकर अब तक किए गए तैयारियों से जिलाधिकारी को अवगत कराया। बैठक में उप विकास आयुक्त उज्जवल कुमार सिंह, अपर समाहर्ता राजेश कुमार ,दोनो अनुमंडल पदाधिकारी के साथ जिला स्तरीय पदाधिकारी एवं बाढ़ सुरक्षा से संबंधित तकनीकी विभागों के पदाधिकारी भी उपस्थित थे। गंडक, बूढ़ी गंडक और बागमती प्रमंडल के अधिकारियों द्वारा बताया गया कि हाल के दिनों में लगातार मानसूनी वर्षा के कारण कुछ समस्याएं सामने आई हैं, परंतु अभी जिले में बाढ़ की स्थिति नियंत्रण में है।

सुनील कुमार अकेला

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