बैठायी जांच कमिटी, विशेषज्ञ होंगे उसमें शामिल
कभी-कभी नेपाल में भारत विरोध की धारा बहने लगती है। अभी हाल ही में जिस नई नक्शेबाजी को लेकर उसने एशिया महादेश में नई पैंतरेबाजी शुरू की थी, उसे उसकी ही कैबिनेट धो डाला। कल देर शाम तक चली नेपाल की मैराथन कैबिनेट में फैसला किया कि कालापानी, लिम्पुधुरिया, लिपुलेख और सुस्ता विवाद को नेपाल की भूमि होने की प्रमाणिकता के लिए एक नौ सदस्यीय कमिटी का गठन किया जाए। कमिटी में भूगोलविद, पुराविद, इतिहासकार तथा सीमा से जुड़े दूसरे विशेषज्ञ शामिल होंगे।
कमिटी की रिपोर्ट के बाद ही तय हो जाएगा कि जिन तीन जगहों को उसने नेपाल का हिस्सा बताते हुए भारत पर दबाव डालना शुरू किया है- वह उचित है अथवा नहीं। कमिटी स्थल परीक्षण के साथ-साथ 1915 की सुगौली संधि, महाकाली संधि तथा पर्वत व नदियों की बदल रहीं धाराओं और भौतिक तथ्यों के अध्ययन के आधार पर अपनी रिपोर्ट देगी।
ज्वाईन्ट बार्डर कमिटी ने पहले ही सुलझाा लिया था मामला
इस संबंध में बता दें कि दोनों देशों की संयुक्त बार्डर सर्वेक्षण टीम ने अपनी रिपोर्ट दे दी है। उसमें 98 प्रतिशत मसले पर एकमत भी हुआ जा सका है। बावजूद, नेपाल की इस हरकत से डिप्लोमैटिक रिलेशन पर अंतर पड़ा है। नक्शे का विरोध करने वाली एमपी सांसद पर गुंडों का हमला कर देश निकाला की धमकी भी दी।
हालांकि हैरतअंगेज यह है कि भारत से सीधे रोटी-बेटी का संबंध रखने वाली मधेश पार्टी चुपचाप है। समाजवादी पार्टी के सासंद सरिता गिरि ने जब नये नक्शे का विरोध संसद में किया तो रात में नेपाली गुडों ने उसके घर पर हमला करते हुए काला झंडा लगा दिया। यही नहीं, उसे देश निकाला की धमकी भी दी। उसे कहा गया कि नक्शा विरोध का प्रस्ताव वह वापस ले ले। उसने जब नेपाली पुलिस को इसकी सूचना दी तब कोई एक्शन तक नहीं हुआ।
सुस्ता है भारत का पर, तस्करों का द्वीप बनाया मुन्ना व लैला ने
इतना सब होने के बावजूद भारत ने नेपाल से सामान्य संबंध बने रहने के लिए सुस्ता विवाद को कभी मसला नहीं बनाया। जबकि यह नया मसला है। इसके तहत गंडक ने अपनी धारा बदली और भाारत की ओर खासकर, बिहार और यूपी की ओर भूस्खलन करती रही। लोजिमी है नेपाल से आने वाली गंडक का हिट एरिया भारत था, सो नेपाल नदी की बहती धारा के साथ भारत की ओर बढ़ता चला गया। अभी है भी। अब तो वहां नेपाल पुलिस चैकी बना दी गयी है।
कभी उसी सुस्ता पर मुन्ना खान और लैला का राज चलता था। अत्यन्त खतरनाक ये दोनों अपराधी हथियार तस्करी से लेकर मादक द्रव्यों की तस्करी का एक द्वीप ही बना दिया। बावजूद, भारत ने अपनी चुप्पी साधे रखी।