प्रवासी मजदूरों को खतरा मानती है नीतीश सरकार! जानिए क्यों?

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पटना: कोरोना संकट से निपटने के लिए जारी देशव्यापी लॉकडाउन के दौरान लाखों प्रवासी मजदूर कल-कारखाने बंद होने के कारण अपन-अपने घर पहुंचे हैं। भारी संख्या में प्रवासी मजदूरों के आगमन को लेकर बिहार पुलिस ने कहा कि प्रवासी मजदूरों की भारी आमद के कारण विधि-व्यवस्था की गंभीर समस्या हो सकती है।

रोजगार मिलने की संभावना कम

इसको लेकर बिहार पुलिस मुख्यालय की तरफ से एक पत्र जारी किया गया है, जिसमें लिखा गया है कि विगत दो माह में बिहार राज्य में भारी संख्या में स्थानीय नागरिकों का आगमन हुआ है, जो अन्य राज्यों में श्रमिक के रूप में कार्यरत थे। गंभीर आर्थिक चुनौतियों के कारण वे सभी परेशान एवं तनाव ग्रस्त हैं। सरकार की अथक कोशिशों के बावजूद राज्य के अंदर सभी को वांछित रोजगार मिलने की संभावना कम है।

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अपराध में हो सकती है वृद्धि

इस कारण स्वयं एवं अपने परिवार का भरण- पोषण करने के उद्देश्य से अनैतिक एवं विधि विरुद्ध गतिविधियों में शामिल हो सकते हैं। इससे अपराध में वृद्धि हो सकती है तथा विधि व्यवस्था की स्थिति पर इसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है। यह समस्या सीमित क्षेत्र में अथवा व्यापक पैमाने पर उत्पन्न हो सकती है। लिहाजा इस मामले में सतर्कता बरतने की जरूरत है। स्थानीय परिदृश्य को देखते हुए कार्य योजना तैयार कर ली जाए ताकि आवश्यकतानुसार कार्रवाई की जा सके।

सरकार और प्रशासन एकमत नहीं

विदित हो कि हाल ही में नीतीश सरकार प्रवासी मजदूरों के लिए कहा कि प्रवासी भी बिहारी है। रोजगार के लिए बाहर चले गए थे. लेकिन, अब इनको कहीं बाहर जाने की आवश्यकता नहीं है, अब प्रदेश में ही इनको रोजगार मुहैया कराया जाएगा। लेकिन, पुलिस मुख्यालय की तरफ से जो आदेश जारी किया गया है उससे यह प्रतीत होता है कि बिहार पुलिस और नीतीश सरकार प्रवासी मजदूरों को अलग-अलग नजरिये से देखती है। इसीलिए राज्य के अंदर इन लोगों के आने से खतरा बढ़ गया है।

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