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जैव विविधता विभिन्न खतरों से जूझ रहा: डॉ राकेश कुमार

पटना: पर्यावरण की सुरक्षा और संरक्षण के लिए वैश्विक स्तर पर राजनीतिक और सामाजिक जागृति लाने हेतु हर वर्ष 5 जून को मनाए जाने वाले विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर ए एन कॉलेज पटना में एक ऑनलाइन संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इस संगोष्ठी के मुख्य वक्ता सीएसआईआर- एन.ई.ई.आर.आई नागपुर के निदेशक डॉ राकेश कुमार ने जैव विविधता महत्त्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यह वायु गुणवत्ता, पानी गुणवत्ता के रखरखाव, कीट नियंत्रण, अपशिष्ट के विषहरण और अपघटन, परागण और फसल उत्पादन के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।

उन्होंने कहा कि इसके साथ ही जलवायु स्थिरीकरण, आय उपार्जन, खाद्य सुरक्षा, प्राकृतिक आपदा से बचाव आदि में भी इसकी महत्वपूर्ण भूमिका है। जैव विविधता आज विभिन्न खतरों से जूझ रहा है जिसमें अवैध शिकार, वास विनाश, प्राकृतिक संसाधन का अत्याधिक दोहन, नियोजित शहरीकरण, जनसंख्या दबाव, इको सिस्टम का अपर्याप्त ज्ञान इत्यादि है।

संसाधनों के अत्याधिक दोहन से बचना चाहिए

डॉ राकेश बताया कि हालांकि शहरे पूरे धरती के सतह का महज 2 प्रतिशत अपने प्रयोग में लाती है पर इनके निवासी धरती के 75 प्रतिशत प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग करते हैं। हमें इन संसाधनों के अत्याधिक दोहन से बचना चाहिए। जीवन की स्थिरता ऊर्जा के साइकिलिंग पर निर्भर करती है। जैव विविधता के सहस्राब्दी मूल्यांकन में यह पाया गया है कि मानव ने पिछले पचास वर्षों में इको सिस्टम में मौलिक परिवर्तन कर दिया है। इको सिस्टम का यह विघटन और भी बदतर हो सकता है परंतु इस पर नियंत्रण संभव है। जैव विविधता हमारे जीवन की जीवन बीमा पॉलिसी है हमें इसे संरक्षित करना चाहिए।

आयुर्वेद में लोगों की रूचि काफी बढ़ी

संगोष्ठी का उद्घाटन करते हुए महाविद्यालय के प्रधानाचार्य प्रोफेसर एसपी शाही ने कहा कि विश्व पर्यावरण दिवस संयुक्त राष्ट्र के द्वारा 1972 से ही मनाया जा रहा है, परंतु पिछले दशक से लोगों में पर्यावरण के प्रति सजगता बढ़ी है। पर्यावरण के प्रति कुदरत ने मानव जाति को समय-समय पर सचेत भी किया है। वर्तमान परिस्थिति में जहां कोविड-19 वायरस का कोई इलाज फिलहाल संभव नहीं दिख रहा, वहीं आयुर्वेद में लोगों की रूचि काफी बढ़ी है।

भारतीय पर्यावरण के प्रति ज्यादा सजग और सचेत रहते हैं

प्रोफेसर शाही ने कहा कि हम भारतीय पर्यावरण के प्रति ज्यादा सजग और सचेत रहते हैं। भारत में इंधन तथा बिजली का खपत अन्य देशों की अपेक्षा कम है। भारतीय सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था पर ज्यादा जोड़ देते हैं साथ ही हमारे यहां कार्बन का उत्सर्जन काफी कम है। प्रधानाचार्य ने कहा कि पर्यावरण के संरक्षण हेतु बिहार सरकार का जल-जीवन-हरियाली अभियान पूरे देश तथा विश्व के लिए एक मिसाल है। आने वाले समय में जल जीवन हरियाली अभियान पर्यावरण संरक्षण में मील का पत्थर साबित होगा। इस अभियान के लिए प्रधानाचार्य ने प्रदेश के मुख्यमंत्री तथा उपमुख्यमंत्री को बधाई भी दी।

विषय प्रवेश करते हुए प्रोफेसर बिहारी सिंह ने कहा की विश्व पर्यावरण दिवस का हर वर्ष एक थीम होता है जो कि इस बार जैव विविधता है। इस बार विश्व पर्यावरण दिवस की मेजबानी कोलंबिया कर रही है। संगोष्ठी के उपरांत महाविद्यालय परिसर में प्रधानाचार्य प्रोफेसर एसपी शाही के नेतृत्व में वृक्षारोपण भी किया गया। संगोष्ठी का संचालन आइक्यूएसी की ज्वाइंट कोऑर्डिनेटर डॉक्टर रत्ना अमृत ने किया। धन्यवाद ज्ञापन पर्यावरण विभाग की विभागाध्यक्ष प्रोफेसर तृप्ति गंगवार ने किया। इस अवसर पर आइक्यूएसी के समन्वयक डॉ अरुण कुमार, बरसर प्रोफ़ेसर अजय कुमार, प्रीति सिन्हा, नूपुर बोस, हंसा गौतम समेत कई अन्य शिक्षक एवं छात्र उपस्थित रहे।