समय रहते लॉकडाउन लागू कर बचाई गई लाखों लोगों की जिंदगी अन्यथा परिणाम भयावह हो सकते थे: सुमो
प्रभावी पहल से महाराष्ट्र, गुजरात की तुलना में बिहार में कम हुई मौत, मगर संक्रमण की चुनौती बरकरार
पटना: मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में आयोजित कोरोना उन्मूलन जागरुकता कार्यक्रम के दौरान त्रि-स्तरीय पंचायती राज एवं नगर निकायों के जन प्रतिनिधियों को वीडियो काॅन्फ्रेंसिंग के जरिए सम्बोधित करते हुए उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री को धन्यवाद दिया कि समय से लागू लाॅकडाउन के कारण लाखों लोगों की जिन्दगी बचायी जा सकी हैं। दुखद है कि अमेरिका जैसे विकसित देश में जहां 1.07 लाख से ज्यादा मौतें हो चुकी हैं वहीं भारत में भी अब तक 5,829 मौतें हुई हैं।
विकसित राज्यों में शुमार महाराष्ट्र में कोरोना संक्रमण से 2,465 और गुजरात में जहां 1,092 मौतें हुई हैं वहीं बिहार में प्रभावी पहल के कारण मौतों की संख्या 25 तक सीमित है। बिहार में रिकवरी रेट करीब 48 फीसदी है। मगर जितनी बड़ी संख्या में प्रवासी श्रमिक लौट रहे हैं, क्वरंटाइन अवधि पूरा कर लोग अपने घरों में जा रहे है, बाजार खुल गए हैं, बसें चलना प्रारंभ हो गई हैं, ऐसे में आने वाले दिनों में संक्रमण को रोकना बड़ी चुनौती होगी।
कोरोना से डरना नहीं, लड़ना है। एचआईबी एड्स, टीवी, स्माॅल पाॅक्स आदि की तरह कोरोना के साथ भी जीना सीखना होगा। कोरोना की अभी कोई दवा या टीका नहीं है, ऐसे में सावधानी बरत कर ही संक्रमण को रोकना होगा। पंचायतों की दी गई 160 करोड़ की राशि का उपयोग कर सभी को मास्क और साबुन वितरित करें। शहरों में भी मुफ्त में मास्क वितरित किए जा रहे हैं।
मोदी ने कहा कि लाॅकडाउन लागू कर जहां कोरोना जैसी महामारी के संक्रमण को प्रभावी ढंग से रोका गया वहीं अब मास्क पहन कर दोहरी सुरक्षा को अपनाने की जरूरत है। मास्क पहनने वाला जहां दूसरों को संक्रमित होने से बचाएगा वहीं खुद को भी सुरक्षित रखेगा। गमछी, रूमाल व तौलिया का भी इस्तेमाल करें। इसके अलावा डब्ल्यूएचओ के मानकों शारीरिक दूरी, दो गज की सामाजिक दूरी, साबुन से बार-बार हाथ धोकर व सफाई आदि को अपना कर कोरोना के संक्रमण का मुकाबला किया जा सकता है।