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पीएम मोदी पर 59 फीसदी लोगों की मुहर, कृषि कानून वापसी Opinion पोल

नयी दिल्ली : देश के 59 फीसदी लोगों ने किसानों के मुद्दे पर प्रधानमंत्री मोदी की नीतियों और फैसलों पर अपनी मुहर लगाई है। यह मुहर IANS-सी वोटर स्नैप ओपिनियन पोल के सर्वे नतीजों के रूप में सामने आया। इसके अनुसार कृषि कानून वापस लेने के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के फैसले से बीजेपी को भारी फायदा होगा। आईएएनएस-सी वोटर स्नैप ने कृषि कानून वापस लिये जाने के बाद यह सर्वे किया है। पीएम मोदी ने 19 नवंबर को तीनों नए कृषि कानूनों को वापस लेने की घोषणा की थी।

किसान समर्थक प्रधानमंत्री की छवि

सर्वे में 59 फीसदी प्रतिशत लोगों ने कहा कि पीएम ने सही फैसला लिया है। 58.6 प्रतिशत नागरिकों ने कहा कि पीएम मोदी वास्तव में किसानों के समर्थक हैं। वहीं 29 फीसदी नागरिकों ने कहा कि वो किसान विरोधी हैं। इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि मोदी विरोधी मतदाताओं में भी 50 प्रतिशत से अधिक विपक्षी मतदाता मोदी को किसान समर्थक मानते हैं।

50 फीसदी की नजर में कृषि कानून सही

कृषि कानून लाने के उद्देश्यों संबंधी सर्वे में यह सामने आया कि कृषि कानून सही थे। 50 प्रतिशत से अधिक लोगों का दावा है कि कृषि कानून किसानों के लिए फायदेमंद था। हालांकि, 30.6 फीसदी ने दावा किया है कि ये कानून किसानों के लाभ के लिए नहीं थे। जबकि 40.7 फीसदी लोगों ने कृषि कानूनों को निरस्त करने के लिए सरकार को, 22.4 फीसदी ने विपक्ष को और 37 फीसदी ने प्रदर्शनकारियों को श्रेय दिया है।

किसान आंदोलन का उद्देश्य मोदी विरोध

इस सर्वे में किसानों के प्रति पीएम और भाजपा सरकार के रवैये को लेकर भी सवाल पूछे गए। नतीजे में 58.6 फीसदी लोगों ने कहा कि पीएम मोदी वास्तव में किसानों के समर्थक हैं। यही नहीं कृषि कानून के विरोध में शुरू किये गए किसान आंदोलन के बारे में भी लोगों ने चौकाने वाले नतीजे दिया किसान आंदोलन के पीछे के वास्तविक उद्देश्यों के बारे में पूछा गया तो 56.7 फीसदी लोगों ने कहा कि आंदोलन मोदी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार को कमजोर करने के लिए था। वहीं 35% लोगों ने इस दावे के विपरित मत व्यक्त किये।

दरअसल, कृषि कानून वापस लेने के पीएम मोदी के कदम के बाद देशभर में पक्ष और विपक्ष में तमाम तरह की अटकलें लगाईं जाने लग थी। लोग सरकार के इस फैसले से भाजपा या पीएम मोदी के चेहरे को नफे—नुकसान पर बहस शुरू हो गई। अब इसी को लेकर किए गए इस कानून वापसी बाद के सर्वे ने एक बार फिर केंद्र की भाजपा सरकार और पीएम चेहरे पर अपनी पक्की मुहर लगा दी है।