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हिटलर से बड़ी तानाशाह थी इंदिरा, ‘आपातकाल— एक काला अध्याय’ पर राष्ट्रीय संगोष्ठी

पटना : जयप्रकाश का बिगुल बजाने जाग उठी तरुणाई है, तिलक लगाने तुम्हें जवानों क्रांति द्वार पर आयी है। आपातकाल के 44वीं बरसी पर बुधवार को पटना के ऐतिहासिक गांधी मैदान के बगल में स्थित अनुग्रह नारायण सिन्हा इंस्टिट्यूट में लोकनायक जयप्रकाश सामाजिक परिवर्तन संस्थान द्वारा आपातकाल एक काला अध्याय पर राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में देशभर के जेपी सेनानी उपस्थित रहे।

कार्यक्रम की अध्यक्षता जेपी आंदोलन के आंदोलनकारी बिहार सरकार के पूर्व मंत्री सह जदयू नेता नरेन्द्र सिंह और मंच का संचालन कुमार अनुपम ने किया। जेपी आंदोलन के क्रांतिकारी सेनानियों को संबोधित करते हुए राज्यसभा सांसद व भाजपा के वरिष्ठ नेता आरके सिन्हा ने कहा कि भारत का लोकतंत्र विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र है और इमरजेंसी लोकतंत्र का सबसे बड़ा धब्बा है ऐसा तो तानाशाह हिटलर ने भी नहीं किया और अंग्रेजों ने तो ऐसा कुछ नहीं किया जैसा इंदिरा ने किया। आपातकाल के समय को याद करते हुए कहा कि लोगों की आजादी छीन ली गयी थी ,उनके अधिकार को खत्म कर दिया गया था ,लोकतांत्रिक व्यवस्था को समाप्त कर दिया गया था ,लोगों को गिरफ्तार कर जेलों में नजरबंद कर दिया गया था। हज़ारों लोगों को मानसिक और शारीरिक यातनाएं दी गयी थी। सिन्हा ने अपने संबोधन यह भी कहा कि मौजूदा समय में लोगों को पर्यावरण व जल सरंक्षण के बारे में भी जागरूक करने की ज़रूरत है। बड़ी संख्या में पेड़ लगाने की ज़रूरत है तथा इसको लेकर एक और क्रांति की ज़रूरत है।

सेनानी व बनियापुर से विधायक रहे रामाकांत पांडेय ने अपने संबोधन में कहा कि कोई भी व्यक्ति या अधिकारी इमरजेंसी लागू करने की सलाह नहीं दी थी। सिर्फ सिद्धार्थ शंकर राय ने इमरजेंसी लगाने की सलाह दी थी और इंदिरा ने 25 जून के मध्य रात्रि (26 जून)1975 को इमरजेंसी लागू कर दी। 27 तारीख को अटल और आडवाणी को बेंगलुरु से गिरफ्तार कर लिया गया था। पांडेय ने कहा कि पूरे देश में आरएसएस (RSS) का विस्तार जेपी आंदोलन के बाद हुआ। वक्ता देव दास ने कहा कि जो समाज जो देश अपने इतिहास को भूल जाएगा वह समाज या देश कभी प्रगति नहीं कर पायेगा। वक्ता विंध्यवासिनी ने कहा कि आज के समय में राजनीतिक पार्टियां व्यक्तिवादी हो गयी हैं, आंतरिक लोकतंत्र खत्म हो गया है। बिहार की धरती क्रांतिकारियों की धरती रही है, सामाजिक परिवर्तन की धरती रही है। देवी दस ने उस वाक्ये को याद करते हुए कहा कि जब पंडित नेहरू ने डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी को कहा था कि मैं जनसंघ को कुचल दूंगा, इसके जवाब में मुखर्जी ने कहा था कि मैं इस मानसिकता को कुचल दूंगा।
(राहुल कुमार)