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हिंदुत्व से बेरुखी कैडर को चुभी! 50 MLA , 12 MP और अब 3 निगमों में भी ढहा उद्धव का किला

नयी दिल्ली : हिंदुत्व की जिस नींव पर बालासाहब ठाकरे ने शिवसेना को खड़ा किया, उसी हिंदुत्व से दगाबाजी ने अब उद्धव ठाकरे को कहीं का नहीं छोड़ा। पहले एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में 50 विधायकों ने उनकी सरकार से बगावत कर सीएम पद से उतार दिया। फिर 12 सांसदों ने उद्धव का साथ छोड़ बागी गुट के साथ जाने का ऐलान किया। और अब निगमों और पार्षदों के रूप में शिवसेना 9 में से 3 निगमों के जमीनी कैडर ने भी उनका साथ छोड़ शिंदे गुट को ज्वाइन कर लिया। यानी उद्धव की शिवसेना के सारे किले एक—एक कर ढह रहे हैं।

जमीनी शिवसैनिकों ने उद्धव को दिया झटका

उद्धव को ताजा झटका एक—एक कर हाथ से जाते निगमों और उनके पार्षदों ने दिया है। ठाणे और नवी मुंबई के शिवसेन पार्षदों के शिंदे गुट से जा मिलने के बाद अब कल्याण—डोंबिबली के 55 कॉर्पोरेटरों ने एकनाथ शिंदे को समर्थन का ऐलान कर दिया है। यानी अब सत्ता गंवाने के बाद उद्धव ठाकरे की शिवसेना पार्टी पर जमीनी पकड़ भी नहीं रहने वाली। अगर आज उद्धव की शिवसेना में मुसीबत पर गौर करें तो हम पाते हैं कि जब से उन्होंने पार्टी के कोर एजेंडे के ऊपर कुर्सी और सत्ता को सर्वोपरी मानना शुरू किया, शिवसेना उनसे उतनी ही दूर होती गई।

कुर्सी के लिए कोर एजेंडा त्यागना बेवकूफी

भाजपा के साथ मिलकर चुनाव लड़ना और फिर सत्ता के लिए पार्टी के कोर एजेंडे हिंदुत्व को त्यागना उन्हें भारी पड़ा। महाराष्ट्र में दो साल बाद फिर विधानसभा चुनाव होंगे। ऐसे में शिवसेना नेता और कैडर जनता के पास क्या मुंह लेकर जायेंगे। इस बात बात पर उद्धव ठाकरे ने तनिक भी ध्यान नहीं दिया और सीएम की कुर्सी पाने के लिए धूर विरोधियों से हाथ मिला लिया। ये वही धूर विरोधी थे जिनसे बालासहब ठाकरे ने जिंदगी भर लड़ाई की और शिवसेना को खड़ा किया।

बागी होना शिवसैनिकों की मजबूरी

उद्धव की इसी सत्तालोलुप नादानी का नतीजा एकनाथ शिंदे की बगावत के रूप में सामने आया। यहां गौर करने वाली बात यह है कि चाहे बागी विधायक हों या बागी सांसद या फिर बागी पार्षद, सभी ने एक सूर से हिंदुत्व से दूरी को अपनी—अपनी सियासी बगावत की मुख्य वजह बताई। सबने एक सूर में कहा कि हम बालासाहब के शिवसैनिक हैं। उन्होंने हमें हिंदुत्व का ही पाठ पढ़ाया है। उससे अलग हम हो ही नहीं सकते। हमने उद्धव से बार—बार कहा कि हिंदुत्व की बेरुखी ठीक नहीं। लेकिन वे नहीं माने। ऐसे में बगावत हमारी मजबूरी थी क्योंकि हम फिर जनता के बीच तो इसी एजेंडे पर जायेंगे।

बालासाहब के कोर एजेंडे से दूरी नामंजूर

इधर महाराष्ट्र के नए मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने भी साफ कहा कि सभी बागी विधायक, सांसद और अधिकांश पूर्व पार्षदों के साथ-साथ शिवसेना, युवा सेना, महिला अघाड़ी पदाधिकारियों और ठाणे, कल्याण-डोंबिवली और नवी मुंबई के शिवसैनिकों ने मुझसे मुलाकात में हिंदुत्व पर किसी भी विचारधारा से कोई समझौता नहीं करने की बात कही। उन्होंने हिंदू हृदय सम्राट शिवसेना प्रमुख बालासाहेब ठाकरे के हिंदू समर्थक विचारों का एकस्वर से समर्थन किया और यही शिवसेना की पहचान है।