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हिन्दू आस्था पर चोट से भड़के नेपाली, जनकपुर और काठमांडू में जबर्दस्त उबाल

नयी दिल्ली/काठमांडू : भगवान राम के जन्मस्थान को लेकर दिये गए नेपाली पीएम केपी ओली के विवादित बयान के खिलाफ पूरे नेपाल में जबर्दस्त प्रदर्शन शुरू हो गए हैं। जनकपुर, काठमंडू समेत विभिन्न शहरों में लोग सड़कों पर बाहर निकल आये हैं और ओली मुर्दाबाद के नारे लगा रहे हैं। इसबीच खबर है कि मुख्य विपक्षी दल नेपाली कांग्रेस ने अयोध्या पर विवादित बयान के लिए पीएम ओली की तीखी निंदा करते हुए कहा है कि उन्होंने शासन करने का ‘नैतिक और राजनीतिक आधार’ गंवा दिया है।

जनकपुर समेत कई शहरों में सड़क पर प्रदर्शन

समूचे नेपाल में ओली के हालिया आचरण से आये उबाल का आलम यह है कि आमलोग भी सरकार से तंज भरे अंदाज में पूछ रहे हैं कि क्या अब भगवान राम के जन्मस्थान को लेकर ओली सरकार एक नया नक्शा जारी करने वाली है? इस बीच, हिंदू युवाओं और साधुओं के एक समूह ने जनकपुर, काठमांडू समेत विभिन्न शहरों में सरकार विरोधी रैली कर ओली के खिलाफ प्रदर्शन किया। हिंदू परिषद नेपाल के अध्यक्ष मिथिलेश झा ने कहा कि ओली के बयान ने दुनिया भर में करोड़ों हिंदुओं की भावनाओं को आहत किया है।

ओली के बयान ने पार की सारी हदें : भट्टाराई

नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री बाबूराम भट्टाराई ने कहा, ‘प्रधानमंत्री ओली के बयान ने हदें पार कर दी। अतिवाद सिर्फ संकट पैदा करता है।’ उन्होंने अपनी व्यंग्यात्मक टिप्पणी में कहा, ‘अब प्रधानमंत्री ओली से कलयुग का नया रामायण सुनिए।’ उधर नेपाली कांग्रेस पार्टी ने अयोध्या के बीरगंज में स्थित होने और भगवान राम का जन्म नेपाल में होने संबंधी प्रधानमंत्री की टिप्पणियों को लेकर कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ नेपाल और सरकार से आधिकारिक रुख बताने की भी मांग की है।

नेपाली कांग्रेस ने ओली के आचरण पर उठाये सवाल

नेपाली कांग्रेस के प्रवक्ता बिश्व प्रकाश शर्मा ने कहा कि उनकी पार्टी प्रधानमंत्री के हालिया बयानों और व्यवहार से पूरी तरह से ‘असहमत’ है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ओली ने देश में शासन करने का ‘नैतिक और राजनीतिक आधार’ खो दिया है। ‘प्रधानमंत्री का बयान सरकार का आधिकारिक विचार है या नहीं, इसे स्पष्ट किया जाना चाहिए।’

ओली पर इस्तीफे का भारी दबाव, पार्टी में भी विरोध

नेपाली कांग्रेस ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि इस तरह की विकट स्थिति में प्रधानमंत्री की जिम्मेदारियों और उनके कार्यों में कोई तालमेल नहीं है। यह सीपीएन पर निर्भर है कि वह इस बारे में निर्णय ले कि वह प्रधानमंत्री की सोच, कार्यशैली, अभिव्यक्ति और कामकाज पूरी तरह से बदले या प्रधानमंत्री को ही बदल दे। प्रधानमंत्री ओली ने परंपरा, संविधान और संवेदनशीलता को भुला दिया है और अपनी सनक से सरकार चला रहे हैं। ओली हालिया भारत विरोधी टिप्पणी और निरंकुश कार्यशैली को लेकर अपनी ही पार्टी के अंदर सख्त विरोध का सामना कर रहे हैं और उनके इस्तीफे की मांग की जा रही है।