पटना : कुछ चीज़ें ऐसी होती हैं जिसका जिक्र होते ही भारतीय होने पर हमें गर्व होने लगता है। आयुर्वेद ऐसा ही है। दुनिया की सबसे प्राचीनतम चिकित्सा पद्धति आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति है। ये हमारी धरोहर है। इसको सहेज कर रखने की जरूरत है। आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धत्ति की जो विश्वसनीयता लोगों के बीच मे है। वैसी विश्वासनीयता किसी दूसरे पैथी की नहीं है। आयुर्वेदिक दवाई खाने से कोई फायदा हो न हो लेकिन कोई नुकसान नहीं होता है। ये बातें बिहार विधानसभा अध्यक्ष विजय कुमार चौधरी ने राजकीय आयुर्वेदिक अस्पताल द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में कही। बिहार विधानसभा अध्यक्ष विजय कुमार चौधरी ने कहा कि बिहार जैसे गरीब और कृषि प्रधान प्रदेश के लिए आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति सबसे फायदेमंद है। आयुर्वेद के लिए जो दवाइयां बनती हैं वो पेड़-पौधों, जड़ी बूटियों से बनती है और ये सारा कुछ बिहार में प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है। उन्होंने कहा कि जितने भी पैथी की शुरुआत हुई है वो सब 18वी सदी से हुई है। जबकि आयुर्वेद का इतिहास बहुत पुराना है। आयुर्वेद की जो विश्वसनीयता लोगों के बीच है उसी का नतीजा है कि आज अंग्रेज़ी दवाइयों के ऊपर भी लिखा होता है कि इसमें आयुर्वेदिक सप्लीमेंट है।
पटना के प्रसिद्ध डॉक्टर एवं पद्म श्री गोपाल प्रसाद सिन्हा ने कहा कि भारत दुनिया का डाईबेटिज़ कैपिटल बन गया है। डाइबिटीज ट्रीटमेंट से ठीक नहीं होता है बल्कि इसकी रोकथाम से ही इसका इलाज संभव है। डॉ गोपाल प्रसाद सिन्हा ने डाइबिटीज के रोकथाम के लिए बहुत सारे उपाय बताए जिनका पालन करके इस बीमारी से बचा जा सकता है। मुख्य तौर पर उन्होंने कहा कि हायपरटेंशन और स्ट्रेस डाइबिटीज़ होने का सबसे मुख्य कारण है। डाइबिटीज़ एक लाइफस्टाइल बीमारी है। डाइबिटीज़ सबसे ज्यादा मोटे लोगों को होता है। इससे बचने के लिए शराब और सिगरेट नहीं पीना चाहिए। प्रतिदिन व्यायाम करना चाहिए।
लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण मंत्री विनोद नारायण झा ने कहा कि पहले का जो लाइफस्टाइल था वो बदल गया और आज सुविधाजनक जीवन जीने के चलते कई रोगों के शिकार भी हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि पहले जब भी कोई दवाई खाते थे तो जय धन्वंतरि कहते थे। पानी पीने पर भी जय धन्वंतरि कहा करते थे। विनोद नारायण झा ने कहा कि साफ पानी और स्वच्छता अपनाकर 90 प्रतिशत बीमारियों से निजात पा सकते हैं।
(मानस द्विवेदी)