मुखिया पति पर नकेल, महिला जनप्रतिनिधियों को खुद रहना होगा मीटिंग में उपस्थित

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पटना : बिहार में पंचायत चुनाव खत्म होने के बाद अब पंचायती राज्य व्यवस्था को फिर से पटरी पर लाने की तैयारी चल रही है।इसी कड़ी में अब सरकार ने बड़ा निर्णय लिया है। राज्य सरकार के तरफ से कहा गया है कि नवनिर्वाचित महिला जनप्रतिनिधियों की जगह उनके पति या फिर अन्य प्रतिनिधियों के बैठक में शामिल होने पर रोक रहेगी।

महिला जनप्रतिनिधियों को खुद बैठक में रहना होगा शामिल

राज्य सरकार ने यह आदेश जारी किया है कि पंचायती राज संस्थाओं और ग्राम कचहरी की नव निर्वाचित महिला जनप्रतिनिधियों को बैठक में भाग लेने के लिए अपने स्थान पर किसी अन्य व्यक्ति को मनोनीत करने का अधिकार नहीं होगा। वहीं, सरकार के इस फैसले को मुखिया पति, सरपंच पति, जिला परिषद पति पर नकेल के रूप में देखा जा रहा है।

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दरअसल, इससे पहले बिहार में महिला मुखिया, महिला सरपंच, महिला जिला परिषद और अन्य पंचायती राज प्रतिनिधियों की जगह उनके पति ही ज्यादा सक्रिय रहा करते थे। कुछ ग्रामीण इलाकों में तो मुखिया पति, सरपंच पति, जिला परिषद पति शब्द का इस्तेमाल धड़ल्ले से किया जाता रहा है। इन नामों से संबोधित होने वाले लोग भी अपने आप को जनप्रतिनिधि से कम नहीं समझते थे। जिसके बाद, लगातार मिल रही शिकायतों से तंग आकर अब नीतीश सरकार ने सख्त कदम उठाया है।

बिहार के पंचायती राज मंत्री सम्राट चौधरी ने कहा कि त्रिस्तरीय पंचायत संस्थाओं एवं ग्राम कचहरी के लिए जो महिला जनप्रतिनिधि निर्वाचित हुई है, उनकी जगह पर कोई अन्य व्यक्ति बैठकों में शामिल नहीं होगा।

जानकारी हो कि, समय-समय पर त्रिस्तरीय पंचायती राज्य संस्थाओं की बैठक आयोजित की जाती है। अब इस फैसले के बाद इस बैठक में महिला जनप्रतिनिधि स्वयं शामिल होंगी। इसके बाद भी अगर वह प्रतिनिधियों के माध्यम से अपनी उपस्थिति दर्ज कराती रही हैं, तो यह इजाजत नहीं दी जाएगी। साथ ही महिला प्रतिनिधि की बैठक में उपस्थिति दर्ज कराने के लिए सभी पदाधिकारियों को कड़ाई से आदेश का पालन करने का निर्देश दिया गया है।

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