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ग्राउंड रिपोर्ट: ”बाइपास रोड काट देंगे, पटना शहर डूब जाएगा!”

पटना : वह कहावत आपने सुनी होगी कि नाव का एक छेद बंद करने पर दूसरा छेद हो जाता है। यही पटना जिला में हो रहा है। पटना शहर से जलजमाव हटाने के लिए डिवाटरिंग कर सरकार अपना दायित्व पूरा समझ रही है। लेकिन, इसका सइड इफेक्ट हो रहा है कि डिवाटरिंग के बाद पानी ग्रामीण क्षेत्रों में जा रहा है और वहां जलजमाव की समस्या खड़ी कर रहा है। ग्रामीण क्षेत्र में किसान इससे आक्रोशित हैं।

जल्ला क्षेत्र के एक गांव में डूबा चापाकल

27 से 29 सिंतबर तक हुई बारिश के बाद पटना के विभिन्न इलाकों में जलजमाव हो गया और बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हो गई। राजेंद्र नगर व कंकड़बाग इलाके में सबसे अधिक खराब स्थिति हो गई। मीडिया, सरकार व सामाजिक संगठनों का सारा ध्यान इन्हीं इलाकों पर है। ऐसे में स्वत्व समाचार की टीम ने पटना के ग्रामीण इलाकों का दौरा किया और किसानों का हाल जाना। फतुहा से सटे गांवों व जल्ला क्षेत्र के 46 गांव में जलजमाव से परेशान है। घर, चापाकल, सड़कें, दुकान डूब चुके हैं। जल्ला में इस साल एक नई सड़क बनी है। बस, वही पानी से ऊपर है। फसल नष्ट हो चुके है। पशुओं का चारा बर्बाद हो गया और कई के पशु पानी में बह गए। जो बच गए, उन्हें सड़क किनारे बांधा गया है। एक ही छोटे से स्थान पर कुत्ते, बिल्ली, भैंस, गाय, बकरी बंधे हैं। आसपास ही किसान भी शरण लिए हैं।

स्वत्व की टीम जब वहां पहुंची, तो किसान आक्रोशित थे। फसल बर्बाद हो जाने की पीड़ा चेहरे पर दिख रही थी। संवाददाता को देखते ही एक अधेड़ किसान बोल पड़े— ”तू लोग शहर में मौज करेगा आ हमनी पानी में मरेंगे! आज रात में पटना का बाइपास रोड काट देंगे, तेरा पटना शहर डूब जाएगा!” इसके साथ ही दूसरे किसानों ने भी गुस्से में कई बातें कहीं। अपशब्द भी। टीम चुपचाप सुनती रही। बाद में गांव के पढ़ेलिखे युवाओं ने आगे आकर किसानों को समझाया कि ये लोग सरकार के आदमी नहीं है। मीडिया वाले है। आपकी बात सरकार तक पहुंचाएंगे। तब जाकर किसानों का गुस्सा शांत हुआ। मरचा-मरची गांव के युवाओं ने बताया कि पुनपुन का रिंग बांध तीन जगह से टूट गया है। अब सुरक्षा बांध के भी टूटने का खतरा है। ऐसे में समूचा जल्ला क्षेत्र डूब जाएगा। पटना शहर के पानी को डिवाटरिंग करके इधर गांव में भेजा जा रहा है। इसी से यह क्षेत्र डूब गया है।

टीम के साथ कुछ खाने—पीने की सामग्री थी। पानी की बोतलें, दूध आदि। भूखे—प्यासे किसान लपक पड़े। सबसे बड़ा दर्द यही कि कुछ पूछने तक नहीं आया। शहर का कष्ट, कष्ट है और गांव का कष्ट, कहानी! यह भाव सबसे अधिक टीस दे रही।