पटना : माननीय राज्यपाल श्री राजेन्द्र विश्वनाथ आर्लेकर ने श्रीकृष्ण मेमोरियल हॉल, पटना में आयोजित पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय के तृतीय दीक्षांत समारोह में पदक एवं उपाधि प्राप्त करनेवाले छात्र-छात्राओं को संबोधित करते हुए कहा कि वे भारत को वर्ष 2047 तक विकसित देश बनाने के लक्ष्य को प्राप्त करने में सहभागी बनें। वे सिर्फ अपनी एवं अपने परिवार की सुख-सुविधा हेतु धनार्जन तक ही अपने को सीमित नहीं रखें, बल्कि उनके जीवन का लक्ष्य देश एवं समाज की सेवा करना होना चाहिए।
राज्यपाल ने छात्र-छात्राओं से कहा कि प्रारंभ से लेकर आज के दीक्षांत समारोह में पदक एवं उपाधि हासिल करने तक की यात्रा में उन्हें परिवार के सदस्यों, अभिभावकों, मित्रों और समाज के अनेकानेक लोगों का विभिन्न प्रकार से सहयोग मिला है। वे उन सब के प्रति कृतज्ञ रहते हुए उनकी चिन्ता करें और उनके लिए कुछ करें। समाज उन्हें आशा भरी निगाह से देख रहा है। उनके व्यक्तित्व, सौम्य व गरिमापूर्ण आचरण एवं उत्तम चरित्र से यह परिलक्षित होना चाहिए कि वे एक प्रतिष्ठित संस्थान से उच्च शिक्षा प्राप्त व्यक्ति हैं।
उन्होंने ‘विकसित भारत /2047.युवाओं की आवाज’ के शुभारंभ कार्यक्रम के अवसर पर माननीय प्रधानमंत्री के संबोधन को उद्धृत करते हुए कहा कि शिक्षा का उद्देश्य व्यक्ति का निर्माण है, जिससे समाज और राष्ट्र का निर्माण संभव हो सकेगा। बच्चों को ऐसी शिक्षा दी जानी चाहिए जो समाजोपयोगी हो तथा उन्हें अपनी मिट्टी से जोड़कर रख सके। राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 इसमें सहायक है।
राज्यपाल ने कहा कि परिवार की देखभाल करने एवं इसके अन्य सदस्यों के जीवन को सहज एवं सुखी बनाने में गृहिणियों की अत्यन्त महत्वपूर्ण भूमिका होती है। यद्यपि वे अर्थोपार्जन नहीं कर पाती हैं, परन्तु उनके योगदान को जी॰डी॰पी॰ के आकलन में शामिल किया जाना चाहिए। राज्यपाल ने दीक्षांत समारोह में सफल छात्र-छात्राओं को उपाधि एवं स्वर्ण पदक प्रदान किया। उन्होंने उन्हें भविष्य की शुभकामनाएँ देते हुए विश्वास व्यक्त किया कि वे अपने माता-पिता, अभिभावकों तथा गुरूजन की उम्मीदों को पूरा करेंगे।
दीक्षांत समारोह को राजस्थान तकनीकी विश्वविद्यालय, कोटा के कुलपति प्रो॰ एस॰के॰ सिंह ने भी संबोधित किया। इस अवसर पर राज्यपाल के प्रधान सचिव श्री रॉबर्ट एल॰ चोंग्थू,, पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो० आर॰ के॰ सिंह, प्रतिकुलपति प्रो० गणेश महतो, कुलसचिव प्रो॰ शालिनी, विभिन्न विश्वविद्यालयों के कुलपतिगण, अधिषद्, अभिषद् एवं विद्वत परिषद् के सदस्यगण, शिक्षक एवं शिक्षकेत्तर कर्मचारीगण, उपाधि ग्रहण करनेवाले विद्यार्थीगण एवं उनके अभिभावक तथा अन्य लोग उपस्थित थे।