राज्य के फ्लाई एश ईंट निर्माताओं को हरसंभव मदद करेगी सरकार

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फ्लाई एश मिलने में हो रही कठिनाइयों को दूर करने के लिए भारत सरकार से की जाएगी बातचीत

पटना: बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण पर्षद के तत्वावधान में फ्लाई एश ईंट निर्माताओं की वर्चुअल बैठक को सम्बोधित करते हुए उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा कि सरकार राज्य में फ्लाई एश ईंट उद्योग को प्रोत्साहित करेगी तथा एनटीपीसी से फ्लाई एश मिलने में हो रही कठिनाइयों के बाबत भारत सरकार से बातचीत की जाएगी।

सुशील मोदी ने कहा कि राज्य में परम्परागत तौर पर संचालित 6,600 ईंट भट्टो से प्रति वर्ष 2 करोड़ ईंटों का निर्माण होता हैं। इसके लिए मिट्टी की 55 मिलियन टन ऊपरी सतह जो प्राकृतिक संपदा है, का उपयोग किया जाता है। इन ईंट भट्टों से प्रतिवर्ष सर्वाधिक 16 मिलियन टन कार्बन डायऑक्साइड का उत्सर्जन होता है।

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राज्य सरकार की पहल के बाद 3,500 परम्परागत ईंट भट्टो को स्वच्छतर तकनीक में बदला जा चुका है। फ्लाई एश ईंट उद्योग को प्रोत्साहित करने का ही नतीजा है कि 2012 में जहां राज्य में मात्र एक फ्लाई एश ईंट उद्योग था वहीं अब इसकी संख्या बढ़ कर 210 हो गई है। लाल ईंट की तुलना में फ्लाई एश ईंट की कीमत भी कम है। इसके गुणवत्ता प्रमाणीकरण के लिए भी सरकार पहल करेगी।

भवन निर्माण विभाग अपने भवनों के निर्माण में 50 प्रतिशत फ्लाई एश ईंट का प्रयोग कर रहा है। आने वाले दिनों में शत-प्रतिशत फ्लाई एश ईंट का उपयोग करने का सरकार निर्देश देगी।

राज्य प्रदूषण नियंत्रण पर्षद ने सुझाव दिया कि पावर स्टेशन के 50 किमी की परिधि में परम्परागत लाल ईंटों के निर्माण पर रोक लगाई जाए वहीं फ्लाई एश ईंट निर्माताओं ने शिकायत की कि उन्हें एनटीपीसी से फ्लाई एश मिलने में कठिनाई होती है। उन्होंने फ्लाइ एश परिवहन के लिए सबसिडी उपलब्ध कराने की भी राज्य सरकार से मांग की।

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