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सरकार मस्त विद्यार्थी पस्त , मोबाइल की रोशनी में 2 घंटे तक हुई ग्रेजुएशन की परीक्षा

पटना : बिहार में शिक्षा को लेकर भले ही राज्य सरकार द्वारा सबसे अधिक खर्च किया जा रहा हो। लेकिन, इसके बावजूद स्थिति अभी भी बद से बदतर ही है। दरअसल, हम यह बात इस आधार पर कह रहे हैं कि इन दिनों सोशल मीडिया पर एक वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है। इस विडियो में साफ नजर आ रहा है कि मोबाइल के टॉर्च की रोशनी में ग्रेजुएशन के छात्रों ने दो घंटे तक परीक्षा दी और खुलेआम कदाचार की गंगा में छात्र गोता लगाते रहे।

शिक्षा के बजट पर 38 करोड़ खर्च

दरअसल, बिहार सरकार द्वारा शिक्षा के बजट पर 38 करोड़ रुपए यानी सबसे अधिक बजट राशी खर्च की जाती है।लेकिन, जमीनी हकीकत इससे इतर दिखती है। यहां कई बार ऐसा देखा जाता है कि परीक्षा के नाम पर छात्रों के साथ मजाक किया जा रहा है। एक और सरकार द्वारा हर रोज गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की कसीदे पढ़ती है, तो दूसरी तरफ चिराग तले अंधेरा वाली लोकोक्ति चरितार्थ होती हुई दिखती है।

मोबाइल के रोशनी के तले परीक्षा

हम यह बात इस आधार पर कह रहे हैं, क्योंकि पिछले दिनों राजधानी पटना से सटे इलाके नेउरा से एक वीडियो सामने आया है जिसमें स्नातक के छात्र मोबाइल के रोशनी के तले परीक्षा देते हुए दिख रहे हैं वह पूरे परीक्षा अवधि के दौरान मोबाइल का उपयोग करते हुए परीक्षा दे रहे हैं। यह वायरल विडियो नेउरा के बांसरोपण राम बहादुर सिंह यादव कॉलेज कन्हौली का बताया जा रहा है।

पाटलिपुत्र विश्विद्यालय द्वारा आयोजित हो रही परीक्षा

बता दें कि, इन दिनों राज्य में पाटलिपुत्र विश्विद्यालय के छात्रों की पार्ट 1 और पार्ट 2 की परीक्षा चल रही है और परीक्षार्थी अपने सेंटर पर परीक्षा दे रहे हैं। लेकिन, इस दौरान देखा गया है कि नेउरा के एक सेंटर पर बिजली खराब होने की वजह से 21 जुलाई को परीक्षा हॉल में अंधेरा छाया था और परीक्षा शुरू होने तक बिजली ठीक नहीं कराई गई ना ही वैकल्पिक इंतजाम किए गए, ऐसे में बच्चों ने मजबूरन मोबाइल के टॉर्च जलाकर परीक्षा दिया। इस दौरान कमरे में तकरीबन 100 से ज्यादा परीक्षार्थी मौजूद थे, जहां सभी ने टॉर्च जलाकर प्रश्न पत्र को हल किया, इस दौरान वो लोग मोबाइल पर प्रश्नों का जवाब ढूंढते हुए भी नजर आए।

इन जगहों को क्यों बनाया जाता है सेंटर

वहीं, इसको लहर जब परीक्षार्थियों से सवाल किया गया तो कुछ छात्र तो अनुसूना कर चलते बनें तो कुछ छात्रों ने कहा कि इस सेंटर पर जहां छत से पानी टपकता है वहीं बैठने के लिए सही से बेंच डेस्क तक नहीं है, बावजूद इस केंद्र पर परीक्षा ली जा रही है। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा किसी भी कॉलेज में सेंटर देने से पूर्व पूर्ण व्यवस्था की जांच क्यों नहीं की जाती है।

बहरहाल, सबसे बड़ा सवाल यह है कि जब विश्वविद्यालय द्वारा जारी परीक्षा प्रवेश पत्र में यह साफ निर्देशित है कि परीक्षा अवधि के दौरान किसी भी तरह के इलेक्ट्रॉनिक गैजेट को परीक्षा कमरे में ले जाना वर्जित है तो फिर ये बच्चे मोबाइल लेकर अंदर कैसे गए और यदि बिजली खराब हुई तो इसको लेकर परीक्षा केंद्र पर वैकल्पिक व्यवस्था का प्रबंध क्यों नहीं किया गया था। ऐसे में यह साफ कहा जा सकता है कि राज्य सरकार कितनी भी खुद की तारीफ कर ले लेकिन अभी भी उसको शिक्षा व्यवस्था में सुधार लाने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ेगी।