भ्रष्टाचार मामले में छापेमारी पर सरकार और राजभवन आमने-सामने

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पटना : बिहार में भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने को लेकर सरकार और विश्वविद्यालय के चांसलर में ठन गई है। विश्वविद्यालय के चांसलर का कहना है कि बिना मेरी अनुमति के वाइस चांसलर के यहां छापेमारी किस आधार पर की जा रही है। इस पर तत्काल रोक लगनी चाहिए।

बिहार सरकार की स्पेशल विजलेंस यूनिट विश्वविद्यालयों में भ्रष्टाचार की जांच करने में लगी है। जिसके कारण राजभवन बेचैन हो गई है। राजभवन ने कहा है कि विश्वविद्यालयों में भ्रष्टाचार की जांच गलत है। ये विश्वविद्यालय की स्वायत्तता पर हमला है।

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राज्यपाल के प्रधान सचिव ने बिहार के मुख्य सचिव को लिखा पत्र

राज्यपाल के प्रधान सचिव आर एल चोंगथू ने राजभवन की ओऱ से बिहार के मुख्य सचिव को पत्र लिखा है। इस पत्र में कहा गया है कि राज्यपाल की अनुमति के बगैर विश्वविद्यालय में किसी तरह का हस्तक्षेप करना पूरी तरह से गैरकानूनी है। फिर कैसे बिहार सरकार की स्पेशल विजलेंस यूनिट विश्वविद्यालय से भ्रष्टाचार से संबंधित कागजात मांग रही है।

भ्रष्टाचार की जांच से विश्वविद्यालयों में भय का माहौल उत्पन्न

राज्यपाल के प्रधान सचिव द्वारा बिहार सरकार के मुख्य सचिव को भेजी गयी चिट्ठी में कहा जा रहा है कि भ्रष्टाचार की जांच से विश्वविद्यालयों में भय का माहौल उत्पन्न हो गया है। पदाधिकारियों और कर्मचारियों पर मानसिक दबाव पड़ रहा है। विश्वविद्यालय में पढ़ाई का माहौल खराब हो रहा है। राजभवन का कहना है कि अगर जांच ही करनी है तो हमसे परमिशन लें। भ्रष्टाचार निरोधक कानून में भी ये उल्लेखित है कि राज्यपाल की मंजूरी से ही कोई भी जांच हो सकती है।

भ्रष्टाचार के मामलों में चर्चा में राजभवन

मालूम हो कि, पिछले दिनों से इस बात की चर्चा तेज है कि बिहार के कई यूनिवर्सिटी में भ्रष्टाचार के मामलों में राजभवन की संदिग्ध भूमिका है। मगध विश्वविद्यालय के कुलपति राजेंद्र प्रसाद के पीछे भी कहीं न कहीं किसी न किसी रूप से राजभवन का सहयोग है तभी वह अभी तक SVU की करवाई से बचे रहें, लेकिन जब राजभवन से बात नहीं बन पाई तो फिर वह पूछताछ के लिए उपस्थित हुए।

स्पेशल विजलेंस यूनिट कर रही छापेमारी

दरअसल, बिहार के ज्यादातार विश्वविद्यालय में भ्रष्टाचार के कई काले कारनामे के बारे में सरकार को सूचना मिल रही थी। इसके बाद जब बिहार सरकार की स्पेशल विजलेंस यूनिट ने मगध विश्वविद्यालय के कुलपति के ठिकानों पर छापा मारा था तो उसके बाद भ्रष्टाचार का पूरा कारखाना ही सामने आ गया। कुलपति राजेंद्र प्रसाद के ठिकानों से करोड़ों की नगदी औऱ संपत्ति के कागजात मिले थे। उनके पास से यूनिवर्सिटी में हुए भारी घपले के सबूत भी बरामद हुए थे।

कई विश्वविद्यालय में भ्रष्टाचार के दर्जनों गंभीर मामले

वहीं, इसके बाद पूर्णिया विश्वविद्यालय, अरबी फारसी विश्वविद्यालय से लेकर दूसरे कई विश्वविद्यालय में भी भ्रष्टाचार के दर्जनों गंभीर मामले सामने आये। जिसके बाद बिहार सरकार की स्पेशल विजलेंस यूनिट ने एक-एक कर सभी विश्वविद्यालयों में भ्रष्टाचार की जांच करने में लग गई। सूत्र बताते हैं कि, उसी दौरान स्पेशल विजलेंस यूनिट को इस बात की भी भनक लगी की इस मामले में राजभवन की संदिग्ध भूमिका है। जिसके बाद इस टीम द्वारा इसकी जानकारी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को दी गई। मुख्यमंत्री ने भी राज्यपाल के खिलाफ केंद्र के पास गुहार लगाई लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई।

मुख्यमंत्री के गुहार के बाद भी कार्रवाई नहीं

वहीं, मुख्यमंत्री के गुहार के बाद भी कार्रवाई नहीं होने को लेकर राजनीतिक जानकारों का मानना है कि वर्तमान में बिहार के राज्यपाल को के केंद्र में बड़े पद पर काबिज मंत्री का सहयोग प्राप्त है। उनके ही सहयोग से वह बिहार में राज्यपाल पद पर काबिज है।

वहीं, पिछले दिनों हुए लगातार वाकये ऐसे गंभीर सवाल खड़ा कर रहे हैं। कहा जा रहा है कि मगध विश्वविद्यालय पूरी तरह से भ्रष्टाचार का अड्डा बन कर रह गयी है लेकिन राजभवन ने आरोपी कुलपति राजेंद्र प्रसाद के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की। बिहार सरकार ही नहीं बल्कि बीजेपी के सांसद सुशील मोदी तक ने राजभवन से मांग की थी कि आरोपी कुलपति के खिलाफ कार्रवाई तो दूर इसके बदले लेकिन राज्यपाल ने वीसी राजेंद्र प्रसाद को दो दो दफे एक-एक महीने का मेडिकल लीव दे दिया। ताकि वे आराम से निगरानी विभाग से छिपे रह सके।

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