जेपी के चेलोंं पर बरसे गोपाल सिंंह, नीतीश से पूछे 7 सवाल
पटना : बिहार भाजपा के पूर्व अध्यक्ष गोपाल नारायण सिंह आज मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर जमकर बरसे। उन्होंने बिहार को गर्त में धकेलने के लिए उन्हें सीधे—सीधे जिम्मेदार ठहराया। गोपाल नारायण सिंह ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर नीतीश कुमार से 7 सवाल पूछे और कहा कि मुख्यमंत्री कुछ दिनों से समाधान यात्रा पर हैं। लेकिन वे बिहार के लोगों को बताएं कि इस यात्रा से राज्य की किन समस्याओं का समाधान होगा। क्या यह अपनी असफलताओं को छिपाने और जनता को दिग्भ्रमित करने की उनकी नाकाम कोशिश नहीं है।
33 वर्ष तक चेलों का राज, फिर भी जेपी के सपने अधूरे
पूर्व भाजपा अध्यक्ष ने नीतीश से पूछ कि जिस जेपी आंदोलन से वे और लालू सरीखे नेताओं का उभार बिहार में हुआ, उन्हीं जेपी के दिनों की समस्याओं का निदान क्या ये दोनों नेता ढूंढ पाए। बिहार की जनता जानना चाहती है कि 15 साल लालू और 17 साल नीतीश को जोड़ें तो इन 33 वर्षों में इन दोनों नेताओं ने बिहार में उद्योग धंधों के विकास के लिए क्या किया? कितने उद्योग नए लगे और कितने बंद हो गए। कटिहार जूट मील, उत्तरी बिहार के सुगर मील, दरभंगा और समस्तीपुर पेपर मील इसके ज्वलंत उदाहरण हैं।
स्कूल-कॉलेज बदतर, गरीब बच्चों का भविष्य दांव पर
गोपाल सिंह ने कहा कि नीतीश और लालू दोनों गरीब और गरीबी की बात करते हैं। बिहार के गरीब लड़के सरकारी स्कूलों पढ़ने जाते हैं क्योकि उनके पास बाहर जाकर पढ़ने के लिए संसाधन नहीं है। क्या नीतीश जी बतायेंगे कि बदतर होती सरकारी स्कूलों—कॉलेजों कि स्थिति ठीक करने के लिए सरकार क्या कर रही है? उन्होंने आगे कहा कि बिहार कृषि प्रधान और दूसरा सबसे बड़ी आबादी वाला राज्य है जहां सबसे बड़ी समस्या बेरोजगारी की है। बेरोजगारी दूर करने के लिए इस सरकार ने क्या कदम उठाया है?
औद्योगिक विकास और किसानों से सरकार की बेरुखी
गोपाल बाबू ने यह भी पूछा कि किसान और खेतिहर मजदूरों के उत्थान के लिए नीतीश सरकार क्या कर रही है? केंद्र में नरेन्द्र मोदी सरकार ने किसानों कि आय को बढाने पर सबसे ज्यादा जोर दिया क्योंकि 60% प्रतिशत आबादी वाले इस हिस्से का विकास नहीं होगा तब तक देश का विकास नहीं होगा। लेकिन इस दिशा में बिहार क्या कर रहा क्योंकि यह प्रश्न बिहार पर सबसे ज्यादा लागू होता है। बिहार में मक्का सबसे ज्यादा उपजता है, लेकिन इसे खरीदने—बेचने की कोई ठोस व्यवस्था नही है। न ही इसका न्यूनतम समर्थन मूल्य तय हुआ है जिससे किसानों की आमदनी जस की तस है।
लटकी परियोजना से बिहार त्रस्त, कैसी समाधान यात्रा
सिंचाई पर गोपाल सिंह ने कहा कि लगभग 35 वर्षों से उत्तर कोइल परियोजना लंबित है। इसके पानी का 80 प्रतिशत उपयोग बिहार में होना है। औरंगाबाद, अरवल और गया जिले उसके क्षेत्र में आते हैं। प्रधानमंत्री के प्रयास से परियोजना की आर्थिक और तकनिकी समस्याओं का समाधान कर दिया गया। लेकिन बिहार सरकार ने इस दिशा में कौन सा प्रयास किया कि वह अब भी चालू हो सके। अंत में गोपाल सिंह ने कहा कि विकास के लिए राजस्व, सीमेंट, पत्थर और लोहा इत्यादि का होना आवश्यक होता है। लेकिन इनमें बिहार पीछे है। आवश्यकतानुसार सीमेंट बाहर से आता है, पत्थर उद्योग जिससे बिहार सरकार को हजारों करोड़ का राजस्व आता था उसको आपने बंद कर दिया। ऐसे में उद्योग कैसे लगेगा?