पटना : बिहार विधानसभा में 9 जुलाई को सत्तापक्ष और विपक्ष के बीच अचानक शक्ति परीक्षण का मौका आ गया। बिहार विधानसभा में सहकारिता विभाग की ओर से मांग बजट प्रस्तुत किया गया था। इस पर बहस के बाद विपक्ष की ओर से कटौती प्रस्ताव लाया गया। यह कटौती प्रस्ताव राजद नेता व पूर्व वित्त मंत्री अब्दुल बारी सिद्दीकी की ओर से लाया गया था। सरकार कटौती प्रस्ताव स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं थी। ऐसे में सदन के समक्ष मतदान के अलावा कोई रास्ता नहीं था।
सदन से गायब थे पक्ष—विपक्ष के विधायक
जिस समय सदन में यह कार्यवाही चल रही थी, उस समय विधायकों की संख्या कुछ कम दिख रही थी। मत विभाजन की नौबत आते ही सत्तारूढ़ गठबंधन के नेताओं में बेचैनी दिखने लगी। क्योंकि उस समय अधिकांश विधायक सदन से बाहर लॉबी में या कहीं और थे। कुछ नेता विधायकों को फोन लगाते दिखे। आसन से मत विभाजन का संकेत हो गया और सदन में उपस्थित विधायकों ने मतदान किया। प्रस्ताव के पक्ष में 85 मत पड़े वहीं विरोध में 52 मत। इस प्रकार 33 मत से सहकारिता विभाग का मांग प्रस्ताव सदन से पारित हो गयां। इस प्रकार राज्य सरकार शक्ति परीक्षण में पास हो गयी। लेकिन, अचानक आयी इस स्थिति ने सत्तारूढ़ गठबंधन को बहुत बड़ा सबक दे दिया। बिहार विधानसभा में फिलहाल सत्तारूढ एनडीए को 132 विधायकों का समर्थन है। वहीं विपक्ष में 109 विधायक हैं। इस प्रकार एनडीए के 47 विधायक सदन में उपस्थित नहीं थे। वहीं विपक्ष के भी 57 विधायक मतदान के समय सदन से अनुपस्थित थे।