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हो जाएं तैयार! रूस-यूक्रेन लफड़े में गिरने वाली है भारत पर ‘महंगाई मिसाइल’

नयी दिल्ली : यूक्रेन पर रूसी हमले का असर भारत समेत पूरी दुनिया पर पड़ना शुरू हो गया है। आने वाले दिनों में भारत के लोगों को पहले से महंगे पेट्रोल—गैस और अन्य जरूरी उपभोक्ता वस्तुओं की कीमतों में भारी इजाफे के लिए तैयार रहना चाहिए। आज सुबह जैसे ही रूसी हमले की खबर आई तभी से दुनिया भर के शेयर बाजार चरमरा गए। भारत में गुरुवार को शुरुआती कारोबार में गिरावट का दौर शुरू हो गया।

भारतीय शेयर बाजार का हाल बेहाल

भारत में सेंसेक्स करीब 2,000 अंक टूट गया। निफ्टी 570 अंक गिरकर 16,500 अंक से नीचे चला गया। क्रूड ऑयल की कीमतें भी 100 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गईं। स्पष्ट है कि तेल कंपनियां जल्द ही भारत में ईंधन की कीमतों में संशोधन कर सकती हैं। वैसे भी भारत में पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव बाद मार्च की शुरुआत में पेट्रोल और डीजल की कीमतों में तेज उछाल अपेक्षित माना जाता है। अब रूस—यूक्रेन जंग के बाद कच्चे तेल की कीमतें बढ़ने के बाद भारत में पेट्रोल के दाम में आग लग जाएगी।

वैश्विक बाजार में पेट्रोल-डीजल में उछाल

शेयर बाजार के अलावा घरेलू बाजार में सोने की कीमत भी 51,600 रुपये को पार कर गई जो पिछले 12 माह में सबसे ज्यादा है। ये दिखाता है कि रूस और यूक्रेन के बीच बढ़ते संघर्ष का वैश्विक अर्थव्यवस्था पर व्यापक प्रभाव पड़ा है। दूसरी तरफ यूक्रेन और रूस एक साथ वैश्विक गेहूं, मक्का और सूरजमुखी के तेल में बड़ी हिस्सेदारी रखते हैं। इस क्षेत्र पर संकट का असर दुनिया भर में फसल उत्पादन और आवाजाही पर पड़ेगा। पाम तेल और सोया तेल की कीमतें अल्पावधि में रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच सकती हैं। इसलिए माना जा रहा है कि भारत का आयात बिल बढ़ना तय है।

आम उपभोक्ता और गरीबों पर पड़ेगी मार

रूस-यूक्रेन संकट से भारतीय रोजमर्रा के उपभोक्ताओं पर भी महंगाई की आग टूटने वाली है। उपयोगी वस्तुओं और खाद्य पदार्थों की कीमतों में तेजी आएगी जिससे क्रयशक्ति प्रभावित होगी। सबसे बड़ा नुकसान खाद्य कीमतों में वृद्धि हो सकती है। विशेषज्ञों का मानना है कि कच्चे तेल की कीमतों में उछाल से मुद्रास्फीति, राजकोषीय और बाहरी क्षेत्र के जोखिम पैदा होंगे। थोक मूल्य सूचकांक में कच्चे तेल से संबंधित उत्पादों की प्रत्यक्ष हिस्सेदारी 9 प्रतिशत से अधिक है। कच्चे तेल की कीमतों में वृद्धि से एलपीजी और केरोसिन पर सब्सिडी बढ़ने की भी उम्मीद है, जिससे सब्सिडी बिल में बढ़ोतरी होगी। इसके अलावा, कच्चे तेल की ऊंची कीमतों से परिवहन लागत में वृद्धि होगी और यह बाद में आपके खाद्य बिल की लागत में वृद्धि करेगा।