नयी दिल्ली: आज बुधवार को राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत कांग्रेस हाईकमान सोनिया गांधी से मिलने पहुंचे। लेकिन उनकी द्विविधा दूर नहीं हो रही। वे एक तरफ हाईकमान के आदेश का भी सम्मान करना चाह रहे और दूसरी तरफ राजस्थान में सीएम का पद भी नहीं छोड़ना चाह रहे। इस धर्मसंकट के बीच राजस्थान में सचिन पायलट समर्थकों ने पार्टी और मुख्यमंत्री पर पायलट के लिए कुर्सी खाली करने का दबाव बनाना शुरू कर दिया है।
कांग्रेस में अध्यक्ष पद का चुनाव अक्टूबर में होना है। राहुल गांधी के अध्यक्ष बनने से इनकार के बाद कांग्रेस ने अध्यक्ष पद के लिए चुनाव की घोषणा की है। कांग्रेस हाईकमान चाहता है कि राजस्थान सीएम अशोक गहलोत कांग्रेस अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ें। यहीं गहलोत के लिए मुश्किल खड़ी होती है कि यदि वे कांग्रेस अध्यक्ष बन जाते हैं तब सीएम का पद छोड़ना होगा।
अशोक गहलोत की बातों में प्रदेश और पार्टी साथ चलाने की इच्छा के संकेत मिल रहे हैं। ऐसे में कांग्रेस अध्यक्ष बनने के बाद भी राजस्थान नहीं छोड़ने की उनकी इच्छा को पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट के साथ टकराव के तौर लिया जा रहा है। उधर कांग्रेस अध्यक्ष पद पर भी उनकी मुश्किल कम नहीं है। शशि थरूर भी अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ने का ऐलान कर चुके हैं। यानी यहां भी रास्ता एकदम क्लियर नहीं।
उधर राजस्थान में जैसे ही यह संकेत मिला कि अशोक गहलोत मुख्यमंत्री का पद छोड़ने के मूड में नहीं हैं, वैसे ही सचिन पायलट समर्थकों ने एक बार फिर गुटबंदी शुरू कर दी है। इससे कांग्रेस को राजस्थान में भारी नुकसान की आशंका है। सूत्रों ने बताया कि अशोक गहलोत सोनिया से मुलाकात में यह कहने वाले हैं कि पार्टी अध्यक्ष बनने की सूरत में भी वह कुछ समय तक राजस्थान के मुख्यमंत्री बने रहना चाहते हैं। यानि सचिन पायलट से सीधा टकराव। ऐसी स्थिति आने वाले वार्षों में होने वाले राज्य विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की सेहत खराब कर सकती है।